रिपोर्ट :- नासिर खान


लखनऊ :-
      बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने 2022 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए तैयारियाँ शुरू कर दी है। मायावती ने संगठन को बूथस्तर पर मजबूत करने के लिए संठन में अपर कास्ट को जोड़ने तथा संगठन में बड़ी ज़िम्मेदारी सौपा है। मायावती ने ब्राह्मण, क्षत्रिय पिछड़ी जाति भाईचारा कमेटी को भंग भी कर दिया है। भाईचारा कमेटी में शामिल रहे ब्राह्मण, क्षत्रिय, पिछड़ा और मुस्लिम नेताओं को मूल संगठन में जिम्‍मेदारी दी गई है। दिलचस्‍प है कि बसपा के मूल संगठन में इससे पहले दलित नेताओं को ही जिम्‍मेदारी मिलती थी। ऐसे में मायावती पर अन्‍य जातियों को तरजीह न देने का आरोप भी लग रहा था। इसे देखते हुए मायावती विधानसभा चुनावों में किसी भी जाति को नाराज न करने की नीति के तहत यह कदम उठाया है

बता दें कि बहुजन समाज पार्टी दलित, ओबीसी और पिछड़ी जातियों की पार्टी मानी जाती है। हालांकि, इसमें अपर कास्ट के नेताओं की संख्या भी काफी हैं। खासकर अपर कास्ट में ब्राह्मण जाति के कई बड़े नेता बसपा में हैं, लेकिन पिछले दो लोकसभा और एक विधानसभा के चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो बसपा का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में तो बसपा का खाता भी नहीं खुल पाया था। वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में भी  पार्टी का काफी खराब प्रदर्शन रहा था। बसपा को महज 19 सीटें ही मिली थीं। इसके साथ ही उसके मत प्रतिशत में काफी गिरावट आई थी।वहीं, 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने सपा के साथ गठबंधन में लड़ा था। इस चुनाव में मायावती को काफी फायादा हुआ था और उनके 10 सांसद चुनाव जीत कर दिल्ली पहुंचे।


गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इस को ध्यान में रखते हुए इस बार कोई भूल नहीं करना चाहती कि आने वाले विधान सभा चुनाव में असफला का मुह देखना पड़े। मायावती की निगाहें अब अपर कास्ट पर टिकी हैं, ताकि वोट प्रतिशत का बैलेंस बनाकर रखा जा सके। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाया जा सके।
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