रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी


गाजियाबाद :-
        कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर डासना जिला कारागार से पैरोल पर छोड़े गए बंदियों में से 10 बंदी पैरोल खत्म होने के बाद भी वापस नहीं लौटे। बंदियों के इस कारनामे ने जेल प्रशासन के साथ-साथ कई जिलों व प्रदेशों की पुलिस को भी टेंशन में ला दिया है। अब इन बंदियों के आने की राह देखी जा रही है तो वहीं, जेल प्रशासन ने संबंधित थानों को भी पत्राचार कर बंदियों की तलाश करने के लिए कहा है।

अधिकांश जेलों में निर्धारित क्षमता से अधिक बंदी हैं। 1704 बंदियों की क्षमता वाले डासना जिला कारागार में लगभग तीन गुना अधिक 4923 बंदी निरुद्ध हैं। कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए शासन द्वारा जेल का भार कम करने के लिए सात साल से कम सजा वाले बंदियों को 8 सप्ताह के पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए गए थे। इसी आदेश के क्रम में डासना जेल से भी 66 बंदी 8 सप्ताह की पेरोल पर रिहा किए गए थे। इनमें 6 महिला बंदी भी शामिल थीं। कोराना का प्रकोप बढ़ा तो पेरोल की अवधि भी बढ़ा दी गई। तीन बार पेरोल की अवधि बढ़ने पर बंदियों को नवंबर के दूसरे सप्ताह तक जेल वापस आना था। लेकिन 10 बंदी पेरोल खत्म होने पर भी वापस नहीं आए। यह बंदी रामपुर, दिल्ली, मेरठ, सीतापुर के अलावा पश्चिम बंगाल व बेंगलूरू के रहने वाले हैं। दो बंदी पैरोल में अपराध कर दोबारा जेल आ गए

जेल अधिकारियों के मुताबिक 6 महिला समेत 66 बंदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था। इनमें से 5 महिला समेत 53 बंदी पेरोल खत्म होने पर खुद ही जेल वापस आ गए। इसके अलावा दो पुरुष बंदी पेरोल के वक्त ही दोबारा से अपराध कर वापस जेल पहुंच गए। वर्तमान में एक महिला समेत 10 बंदी ऐसे हैं जो अनाधिकृत रुप से पेरोल जंप कर फरार चल रहे हैं।

कुछ झांसा देते रहे, कुछ अपने पतों पर नहीं मिले
जेल अधिकारियों के मुताबिक पेरोल खत्म होने के बावजूद वापस न आने वाले बंदियों से उनके दूरभाष नंबर पर संपर्क किया। इनमें से कुछ बंदियों और उनके परिजनों से बात भी हुईं। कुछ बंदियों ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए किराया न होने की बात कही। इस पर जेल के अधिकारियों ने किराया देने का भी आश्वासन दिया, लेकिन इसके बाद भी वह नहीं लौटे। वहीं, कुछ बंदी एक-दो दिन में आने का झांसा देते रहे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने मोबाइल बंद कर लिए। इसके अलावा कुछ बंदी जेल के रिकॉर्ड में दर्ज अपने पतों पर नहीं मिले।

जेलर आनंद शुक्ला ने बताया कि 10 बंदी पेरोल खत्म होने के बाद भी वापस नहीं लौटे हैं। उनका इंतजार किया जा रहा है। साथ ही संबंधित जिलों व थानों की पुलिस से पत्राचार कर बंदियों को तलाशने की बात कही गई है। जेलर के मुताबिक वापस न आने पर पुलिस द्वारा बंदियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई भी की जाएगी। इसमें भगोड़ा घोषित करने, इनाम घोषित करने समेत अन्य निरोधात्मक कार्रवाई शामिल है।

ये बंदी नहीं लौटे
1. शालू निवासी मोहल्ला कलघर, थाना कोतवाली रामपुर।
2. जिनेश कुमार निवासी भावनपुर, मेरठ।
3. ए. शानामुगन निवासी बेंगलूरू।
4. राकेश निवासी असदपुर नंगला थाना निवाड़ी, गाजियाबाद।
5. मुशर्रफ शेख निवासी मुर्शिदाबाद, पंश्चिम बंगाल
6. मुकीम निवासी कृष्णा विहार लोनी, गाजियाबाद।
7. यश निवासी नई सीमापुरी, दिल्ली।
8. भीमा निवासी सजवान नगर थाना विजयनगर, गाजियाबाद।
9. रणजीत निवासी रणजीत विहार थाना लोनी।
10. घनश्याम जरमापुर, थाना रामपुर मथुरा, जिला सीतापुर।
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