रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी


गाजियाबाद :-
         आदरणीय प्रधानमंत्री जी 
                  आपसे  गुजारिश--
आम व्यक्ति को- मध्यमवर्ग /व्यापारी /किसान आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति- मदद का रास्ता सोचो  बिना ऋण के ( अगर बीमारी के बढ़ते आंकड़े और मौत के आंकड़े को कम करना है )
               -भारत माता के सभी बच्चे हैं बच्चा चाहे वह बॉर्डर पर लड़ाई लड़ रहा है चाहे वह बच्चा मौजूदा में करोना से लड़ रहा है
      आदरणीय प्रधानमंत्री जी विनम्र निवेदन----- देश में महामारी से पीड़ित लोगों की संख्या 4/50:लाख के आसपास  हो गया है  सभी अखबार- चैनल'- मैसेज -व्हाट्सएप- ग्रुप यही बोल रहे हैं
           देश की सेना ने भारत मां के प्रत्येक व्यक्ति ने--- सरकार ने---- देश की सीमा की सुरक्षा को तवज्जो दी और प्रमुखता से इस मामले को लिया---- जिसकी वजह से अब बात बनती नजर आ रही है सहमति से सेना पीछे हटने को तैयार है दोनों तरफ की चाइना बॉर्डर से (  स्वागत  )
.       मानवता के नाते निवेदन करना चाहता हूं---- देश की सरकार से----- देश के मुखिया से ----देश के प्रधानमंत्री से-
           जिस तरीके से महामारी जब भारत में पैर पसारने चालू किए थे पूरा देश एकजुट होकर लॉकडाउन में भी चला गया था और हर तरीके से साथ खड़ा हो गया था लेकिन ---पता नहीं क्यों --ऐसा महसूस हो रहा है जो आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं इस पर फोकस कम सा नजर आने लगा है इसी वजह रोज मरीजों के ---और--- मरने वालों के आंकड़े बढ़ते दिखाई दे रहे हैं-- जिसकी वजह मैं समझ पा रहा हूं --सरकार की तरफ से केवल (  लोन के अलावा किसी भी रूप में मदद नहीं मिल पाई )--और लोग अपने को जीवित रखने के लिए परिवार की रोजी रोटी के लिए काम धंधे में लग गए और मौत का डर खत्म हो गया ( सरकार की तरफ से ना तो बैंकों की किस्त पर ब्याज की माफी मिली---- ना बिजली के बिलों में ----किसी तरीके की माफी मिली----- ना स्कूल की फीस में किसी तरीके की माफी मिली--- और ना ही----- ट्रांसपोर्टरों को टैक्स के रूप में माफी मिली सब पर ब्याज पर ब्याज भी लगना चालू हो गया है ) और हर चीज में महंगाई की मार पड़ रही है चाहे बाजार में रोजमर्रा का जीवन जीने वाली वस्तुओं डीजल हो पेट्रोल हो-- सब ने अपने मन में धारणा बनाई की आत्महत्या करने से बढ़िया काम पर चलो कुदरत पर छोड़ दो बच्चों को भूखा मत मारो जो होगा देखा जाएगा
     मेरा निवेदन है--- विनती है  ---गुजारिश है---- मानवता बची रहेगी इंसान बचा रहेगा तो देश की(  जीडीपी भी बढ़ जाएगी ---टैक्स के रूप में रकम भी आ जाएगी ----बनाई हुई सड़कों और पुलों का भी प्रयोग हो जाएगा--- यह सब कुछ तभी लाभ दे पाएगा ( अगर इंसान बचेगा )
      देश हमारे लिए प्राथमिकता है देश की जमीन हमारे लिए प्राथमिकता है----- 
        अगर मानवता को बचाना है-- इंसानों को बचाना है-- तो आप मदद का रास्ता सोचो की (  आम आदमी की ---मध्यम वर्ग की  )- कैसे मदद करें जिससे   हर व्यक्ति जीवन को प्राथमिकता बनाए / व्यापार को नहीं
        यह निर्णय आप पर छोड़ते हैं 
   
( देश के प्रधान सेवक पर )
.    इंदरजीत सिंह टीटू 

आम आदमी की आवाज को अपने मुंह में रखकर आप तक पहुंचाने का प्रयास करता हुआ एक छोटा सा व्यक्ति
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