रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी
गाजियाबाद :-
हम जीवन की किसी भी ऊंचाई पर पहुँच जाएँ परन्तु जीवन पर्यन्त उनका ॠण नहीं चुका सकते हैं ।
माता की महिमा के बारे में बहुत कुछ लिखा बोला जाता है परन्तु पिता की एहमियत के बारे में कम ही लिखा बोला जाता है जबकि पिता की एहमियत को भी कम कर नहीं आंका जा सकता है ।
पिता की एहमियत क्या है पता हमे या तो तब चलता है जब वे हमसे बहुत दूर चले जाते हैं या फिर जब हम स्वयं पिता बन जाते हैं । कहा भीट गया है:
पिता की एहमियत क्या है ।
"इसका जवाब वक्त मेरे सामने लाया है ।।
किन हालतों से गुजरे होंगे मुझे पालने के लिए आप।
ये मुझे स्वयं पिता बन कर समझ आया है ।।"
वास्तव में पिता हमारे जीवन का वह महान शख्स है जो हमारे सपनों को पूरा करने के लिए, हमारी इच्छाओ को पूरा करने के लिए, हमारी हर छोटी से छोटी जिद को पूरा करने के लिए अपने सपनों की धरती को बंजर ही छोड़ देता है । किसी कवि ने पिता की एहमियत के बारे में क्या खूब लिखा है:
पिता एक उम्मीद है, एक आस है
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सख्त अंदर से नर्म है
उसके दिल में दफन कई मर्म हैं।
पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला खिलौना है
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है।
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाडी का सारथी सारथी है,
सब को समान हक दिलाता यही तो एक महारथी है,
सपनों को पूरा करने मे लगने वाली जान है,
उसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है ।
प्रद्युम्न जैन
संजय नगर गाजियाबाद