रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी
उत्तरप्रदेश :-
कानपुर के बर्रा लैब टेक्नीशियन संजीत यादव अपहरणकांड का 31वें दिन का खुलासा हुआ है। पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि घटना में शामिल 5 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। पकड़े जाने के बाद आरोपियों ने बताया कि संजीत यादव की हत्या 26/27 जून की रात कर दी थी, लेकिन पुलिस को अभी तक शव नहीं मिला है। यह मामला उस समय चर्चा में आया जब संजीव के अपहरणकर्ताओं ने 30 लाख की फिरौती मांगी थी। इस मामले में 7 और पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी है। इससे पहले क्षेत्राधिकारी मनोज गुप्ता और ए.एस.पी. अपर्णा गुप्ता समेत 4 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। थाना प्रभारी रणजीत राय और चौकी इंचार्ज राजेश कुमार को भी सस्पेंड किया जा चुका है। यानी अब कुल 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है।
दोस्तों ने रची थी हत्या की साजिश, 2 महिलाएं भी शामिल
पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि हत्या के बाद शव को पांडु नदी में फेंक दिया था, जिसके बाद से पुलिस नदी में शव की तलाश कर रही है। पुलिस ने बताया कि कुछ दोस्तों ने ही मिलकर संजीत यादव के अपहरण और हत्या की साजिश रची थी। पुलिस ने ज्ञानेंद्र यादव नाम के शख्स को मुख्य आरोपी बताया जो संजीत के साथ लैब में काम करता था। पुलिस ने बताया कि पैसों के लिए संजीत के दोस्तों ने उसका अपहरण किया था। आरोपियों ने वारदात के लिए किराये के कमरे का इस्तेमाल किया। संजीत को अगवा करके वहीं रखा गया था। पुलिस ने यह भी बताया कि पूरे मामले में 2 महिलाएं भी शामिल थीं। इनमें से एक महिला को गिरफ्तार किया गया है जबकि दूसरी की तलाश जारी है। पुलिस ने जिन 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया, उनके नाम ज्ञानेंद्र यादव, कुलदीप गोस्वामी, रामजी शुक्ला, नीलू सिंह और प्रीति शर्मा हैं।
अपर पुलिस अधीक्षक समेत 11 पुलिसकर्मी निलंबित
प्रदेश सरकार ने लैब टेक्नीशियन अपहरण मामले में जांच में लापरवाही बरतने के लिए शुक्रवार को अपर पुलिस अधीक्षक सहित 4 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया । राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि शासन द्वारा सम्यक विचार के बाद जनहित में अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी) कानपुर अपर्णा गुप्ता, एवं तत्कालीन क्षेत्राधिकारी मनोज गुप्ता को निलंबित कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि लापरवाही बरतने के आरोप में पूर्व प्रभारी निरीक्षक बर्रा रणजीत राय और थाना प्रभारी राजेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है । अपहरण की घटना में फिरौती ली गई या नहीं, इस संबंध में अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय, लखनऊ वी. पी. जोगदंड को जांच के निर्देश दिए गए हैं । उल्लेखनीय है कि कानपुर पुलिस ने कहा है कि जांच में साफ हो गया है कि महीने भर पहले कथित तौर पर फिरौती के लिए अपहृत लैब टेक्नीशियन की उसके अपहरणकर्ताओं ने हत्या कर दी है।
गौरतलब है कि पिछली 22 जून को बर्रा निवासी चमनलाल के इकलौते पुत्र संजीत यादव का अपहरण कर लिया गया था। पुलिस ने बीती रात खुलासा किया कि अपहृत युवक की उसके दोस्तों ने हत्या कर दी है और शव को पांडु नदी में बहा दिया है। पुलिस ने इस सिलसिले में चार युवकों को गिरफ्तार किया है। परिजन इस मामले में लगातार पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं।
अपहरण के बाद से पुलिस ने नहीं दिखाई तेजी
22 जून को अपहरण के बाद से परिजनों ने 23 जून को बर्रा थाने के जनता नगर चौकी में संजीत के गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया था। लेकिन पुलिस इस मामले पर हल्के में लेती रही और हीलाहवाली करती रही। इसके बाद परिजन 26 जून को एस.एस.पी. से मिले और आदेश के बाद राहुल यादव के खिलाफ नामजद अपहरण का मामला दर्ज किया गया। इसके बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, इस दौरान 29 जून को अपहरणकर्ता ने परिजनों को 30 लाख रूपए की फिरौती के लिए फोन किया। अपहरणकर्ताओं ने परिजनों को करीब 26 बार कॉल किया इस दौरान उनसे करीब आधा-आधा घंटे तक बातचीत हुई फिर भी सर्विलांस टीम उन्हें ट्रेस नहीं कर पाई।
मामला मीडिया में आने के बाद हरकत में आई पुलिस ने हॉस्पिटल के कैमरों को चेक किया साथ ही कर्मचारियों से पूछताछ की, लेकिन जहां से संजीत का अपहरण हुआ था, उसके आसपास के कैमरों को चेक नहीं किया।
परिजनों ने बताया कि पूरे मामले में बर्रा इंस्पेक्टर रणजीत राय लगातार लापरवाही बरतते रहे, उनके कहने पर ही वो लोग फिरौती की रकम देने गए थे। इंस्पेक्टर के कहने पर ही उन्होंने 30 लाख रूपयों से भरा बैग गुजैनी पुल के नीचे फेंक दिया था, लेकिन पुलिस ने वहां कोई भी टीम नहीं लगाई थी, जिससे अपहरणकर्ता पैसों से भरा बैग लेकर फरार हो गए और संजीत को रिहा भी नहीं किया।
विपक्ष ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरा-
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था आैर इस मुद्दे काे लेकर याेगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। सपा-बसपा-कांग्रेस समेत क्षेत्रिय दलाें ने करारा हमला बाेला है-