रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी


गाजियाबाद :-
        संयुक्त व्यापार मेरठ मंडल के महामंत्री आकाश गुप्ता ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते आम आदमी के लिए घर चलाना अत्यंत कठिन हो गया है लाकडाउन के चलते किसी की नौकरी चली गई,किसी व्यापारी का धंदा ठप हो गया,और किसी की लेबर चली गई तो काम मंदा हो गया, किसी ने जमापूंजी खर्च कर डाली, किसी ने उधारी बढ़ा डाली। इन सभी परेशानियों के चलते स्कूल बंदी के कारण बच्चो की शिक्षा भी काफी प्रभावित हुई वे स्कूल जो छोटे बच्चो को मोबाइल से काफी दूर रखने व स्कूल लाने को मना किया करते थे और फोन रखने के नुकसान व इसकी खामियां गिनवाया करते थे उन्ही स्कूलो ने फीस वसूली के चलते मोबाइल को निजी शिक्षा का माध्यम बना डाला जितने भी निजी स्कूल हैं आज सभी आन-लाइन क्लास फोन पर लगा रहे है और चार महीनो से बंद पड़े स्कूलो की अभिभावकों से मोटी फीस वसूली की तैयारी मे जुटे है। जिसका विरोध पिछले काफी समय से संयुक्त वयापार मंडल व अन्य सभी सामाजिक संगठन करते चले आ रहे है। लेकिन इस पर सरकारी तंत्र द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आमजन की मजबूरी यह है की वह अपने बच्चो को शिक्षा दिलाने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए निजी स्कूलो पर ही निर्भर रहता है। यह दुर्भाग्य की बात है की यहां सरकारी नौकरी तो सभी को चाहिए,लेकिन चौथे दर्जे का सरकारी कर्मचारी भी अपने बच्चो को सरकारी स्कूल में नहीं पढाना चाहता। यह सोचनीय विषय है की ऐसा क्यू है की निजी स्कूल जो दो कमरो से शुरू किए जाते है और चंद वर्षो मे ये पचास कमरो और हजारो बच्चो की भीड़ जुटा लेते है। दूसरी ओर सरकारी शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी रूपयो से साधन,सुविधा मिलने के बाद भी सरकारी स्कूल के भवन तो अपग्रेट हो रहे है लेकिन शिक्षा का स्तर नहीं संभल पा रहा है इन्ही कारणो से निजी सकूलो मे दिन प्रतिदिन बढोतरी हो रही है और ये निजी स्कूल अभिभावको पर जबरन दबाव बना कर मोटी फीस वसूली करते जा रहे है। जहां एक ओर कोरोना काल में लोगो की परेशानियों को देख कर आपस में सभी एक दूसरे की परेशानियों को समझकर जरूरत की चीजो के लिए आपसी सहयोग कर रहे है वहीं बड़े और भारी मुनाफो में चल रहे निजी स्कूल त्रस्त अभिभावको को आये दिन नोटिस भेज कर उनका खून चूसने की तैयारी में जुटे है। बार बार आम पब्लिक के कोरोना महामारी के चलते फीस माफी की गुहार लगाने के बाबजूद भी सरकारे कान में तेल डाले मौन  बैठी है।
संयुक्त व्यापार मंडल इसका पूर्ण विरोध करता है और इस प्रकरण में केन्द्र सरकार द्वारा जल्द से जल्द उचित निर्णय करने का निवेदन करता है।
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