पत्रकार सुशील कुमार शर्मा की कलम से.....✍🏻

गाजियाबाद :- मेरठ रोड पर दुहाई में (सर छोटूराम स्कूल के पीछे) लगभग 16 हजार गज में फैला जिले का एक मात्र  शासकीय, समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित *आवासीय वृद्धाश्रम* है । इसकी स्थापना *अशर्फी ग्रामोद्योग संस्थान, अलीगढ़* द्वारा 2015 में   5  विभिन्न जनपदों अलीगढ़, मथुरा,हाथरस, बुलंदशहर व गाजियाबाद में की गई । इस वृद्धाश्रम की क्षमता 150 लोगों की है जबकि वर्तमान में 60+ के 85 वृद्धजन है। जिनमें कुछ की आयु 98 से 100 वर्ष तक है। इस आवासीय वृद्धाश्रम में 32 कमरे हैं। एक डाइनिंग हॉल, किचन और एक स्टोर है। परिसर दो मंजिला है। ऊपर अधीक्षिका और स्टाफ के लिए 5 आवासीय कमरे हैं। लायब्रेरी है, मनोरंजन कक्ष है जिसमें ढोलक, हारमोनियम,कैरम, शतरंज, प्लेइंग कार्ड आदि उपलब्ध रहते हैं। डाइनिंग हॉल में एलईडी टीवी लगा है। ऊपर के हाल में भी टीवी लगा है। कुछ ने अपने कमरों में व्यक्तिगत रूप से भी टीवी लगा रखे हैं।मैं दो वर्ष पूर्व एक बार अपनी पत्नी अर्चना शर्मा के साथ भी यहां आया था। अर्चना शर्मा का मन था कि वह माह में एक या दो बार यहां आकर सभी को सूक्ष्म व्यायाम कराये लेकिन  तभी कोरोना काल प्रारंभ होने से यह नहीं हो सका। 

मेरे मित्र कुलदीप जी जो गाजियाबाद के वरिष्ठ छायाकार हैं उनका मन था इस वृद्धाश्रम की व्यवस्था को देखने का। मैंने वृद्धाश्रम की अधीक्षिका इन्दु कुलश्रेष्ठ जी से बात की और बुधवार को हम वहां पहुंच गए। इन्दु कुलश्रेष्ठ जी इस वृद्धाश्रम की स्थापना से यहां हैं।उनका मायका अलीगढ़ है और ससुराल हाथरस है।पति मनोज कुमार का हाथरस में ही अपना फोटो स्टूडियो है। एक बेटा है समर्थ जो 10 वर्ष का है। वह अपनी मां के साथ ही रहता है। उनके मायके और ससुराल वाले उनसे नाराज़ रहते हैं कि वह किसी त्यौहार पर भी नहीं आती। इन्दु जी सभी त्यौहार अपने परिसर में इन वृद्धाजनों के साथ ही मनाती हैं। इस वृद्धाश्रम में पुरुष और महिलाएं लगभग बराबर संख्या में हैं। राखी और भईया दूज भी वह पुरुष वृद्धजनो के साथ मनाती हैं। उन्होंने बताया कि गणतंत्र दिवस, स्वाधीनता दिवस,1 अक्टूबर अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस, गांधी जयंती, होली, दीपावली, रक्षा बंधन,भईया दूज , जन्माष्टमी आदि सभी त्योहार वृद्धाश्रम में हम परिवार की तरह  मनाते हैं । दो वर्ष से जागरण और भागवत कथा के आयोजन की भी शुरुआत की है। सत्संग और कीर्तन भी हर माह होते हैं। 
   
हमारे सामने ही सूचना मिली कि कोई 60+ महिला है वह यहां भर्ती होना चाहती है।पता लगा कोई उसके साथ नहीं है। पूछने पर उसने बताया कि वह गाजीपुर से यहां रहने के लिए आयी है। इन्दु जी ने बताया कि उसे उसके घर का ही छोड़ गया है। उसकी ऐसी स्थिति नहीं है कि वह अकेले गाजीपुर से यहां तक आ सके। उन्होंने बताया कि उसके पास अपनी पहचान के लिए आधार कार्ड भी नहीं है। उन्होंने उसे तो आश्वस्त कर दिया कि भर्ती तो करेंगे लेकिन पुलिस  और  एनजीओ को सूचना देकर उनकी संस्तुति करनी होगी। आधार कार्ड भी होता तो दिक्कत नहीं थी।विदित हो गत वर्ष 17अक्टूबर को प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन इस वृद्धाश्रम में आयी थी।उस समय जनपद के तमाम आला अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने यहां की व्यवस्था का अवलोकन किया था तथा प्रशंसा भी की थी । उन्होंने इस वृद्धाश्रम को 2 ए सी व एक एलईडी टीवी प्रदान किया था।इस वृद्धाश्रम में महिलाओं और पुरुषों के वार्ड अलग -अलग है। वृद्धाश्रम में प्रवेश करते ही गैलरी के कमरों में आवास उनके है जो पति -पत्नी है। हम सभी वार्डों में गये और सभी से मिले भी। यहां जो वृद्धाश्रम में रह रहे हैं वह यहां कैसे आये पूछने पर  बताया कि कुछ लोग अपने आप भर्ती होने आते हैं। कुछ को उनके बच्चे ही छोड़ जाते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिनका कोई नहीं है। कुछ ऐसे होते हैं जो रास्ता भटक गए होते हैं। 

ऐसे अमुमन पुलिस द्वारा लाए जाते हैं। कुछ डिप्रेशन के शिकार होकर भी यहां आते हैं।उन्होंने हमें  इस वृद्धाश्रम की स्थापना से ही लगभग 7 वर्ष से रह रहे राजकुमार (70 वर्ष) और उनकी पत्नी कुसुम(65 वर्ष) से भी मिलवाया। इतने ही समय से रह रहे मुंशी राम (70 वर्ष), कस्तूरी सक्सेना (लगभग 100 वर्ष) से मिलवाया। वह अपना सारा काम खुद करती है। मैंने उनसे बात भी की। उन्हें आज कुछ बुखार लग रहा था। इन्दु जी ने उनका बुखार चैक किया तथा डॉक्टर को भी आने के लिए फोन किया। मेरे पूछने पर कोई दिक्कत तो नहीं उन्होंने कहा कुछ नहीं। बुखार को भी वह गम्भीरता से नहीं ले रही थी। उन्होंने हमें इन्द्रा चौधरी (87वर्ष) से भी मिलवाया जो इन्दौर की निवासी थी।उनका एक बेटा इन्दौर में प्राइवेट जॉब में है। दूसरा बेटा मेरठ में बिल्डर है। उनकी बहन का बेटा हर्ष कुमार अमेरिका में रहता है। दो वर्ष पहले जब वह भारत आया था तो उसे अपनी मौसी के वृद्धाश्रम में होने का पता चला तो वह उनसे मिलने आया था। उसने बताया कि मैंने अपनी मौसी को 53 वर्ष बाद देखा है।

हम गाजियाबाद के नन्द ग्राम निवासी रहे धर्म राज सिंह (70 वर्ष) से भी मिले।वह अपनी पत्नी के साथ वृद्धाश्रम में रहते थे। उनकी पत्नी का निधन गत वर्ष हो गया था ।उनका बेटा पहले आता था कभी बच्चों की फीस, कभी मकान का किराया देना है कहकर माता पिता के एटीएम से पैसे निकलवा कर लेता रहा।जब सब पैसे निकलवा लिए तो फिर नहीं आया। उसकी मां मरने से पहले काफी बीमार रही उसे सूचना भी भिजवाई लेकिन नहीं आया। उनके मरने में भी नहीं आया। दुहाई के ही रोहताश(60 वर्ष) से भी मिले वह अपनी पत्नी ओमवती के साथ रहते हैं। उनके बेटे ने मां बाप से अपने नाम प्रापर्टी दान करा ली और मां बाप को वृद्धाश्रम में भेज दिया। कुछ वृद्ध ऐसे भी मिले जो बच्चों की मारपीट से दुखी हो कर वहां रह रहे थे। एक गाजियाबाद की नेहरू नगर निवासी रेनु श्रीवास्तव (70 वर्ष) मिली। उनके ससुर जज थे।देवर व जेठ आईएएस व आईपीएस हैं।एक नोएडा व दूसरा मुम्बई में उच्च पद पर है।
  
करतारपुर (पंजाब) निवासी मधनीश साधू बाबा (77 वर्षीय) मिले।उनका असली नाम मदन लाल है उन्होंने बताया कि मुझे मेरा नया नाम मेरे गुरु ने दिया है।वह चार वर्ष से वृद्धाश्रम में हैं। वह इन्दु जी को मधुबन बापूधाम में एक चाय की दुकान पर मिले थे। उनके लड़के ने जो रोहणी दिल्ली में लगभग डेढ़ लाख महीने कमाता है,वह वहां छोड गया था। तीन बेटियां हैं । सभी दिल्ली में हैं। पहले पिता से सम्पत्ति अपने नाम करा ली। उन्हें वहां एक कमरे वाले फ्लैट के पास छोड़ गया। इन्दु जी उन्हें वृद्धाश्रम में ले आयीं। नन्द ग्राम से आयी शमीम बेगम (65 वर्ष) से भी मिले। उनकी छोटी बहू यह कह कर वहां छोड़ गयी थी कि यह मेरी नौकरानी की सास हैं।इनका कोई नहीं है। इन्दु कुलश्रेष्ठ जी ने बताया कि यह माता जी यहां भर्ती होने के बाद 15-20 दिन तक रोती रही थी।एक ऐसा जोडा भी मिला रोशन (72 वर्ष) व शांति 70 वर्ष (बदला नाम)जिन्होंने विजातीय होते हुए लगभग 50 वर्ष पूर्व लव मैरिज की थी। बच्चे हुए पर जीवित नहीं रहे। 

दोनों के परिवार वाले उन्हें समाज के डर से रखने को तैयार नहीं थे। वह खुद वृद्धाश्रम आ गये। वृद्धाश्रम में तीन लोग ऐसे भी मिले जो न बोल सकते थे और न सुन सकते थे। उनमें बरेली से अदीप कुमार सक्सेना व दिल्ली से रतन लाल जैन है। बताया गया कि दोनों टेलर हैं।रतन लाल के पास कई अवार्ड भी है जो अच्छी सिलाई के लिए दिए गए हैं। वृद्धाश्रम की अधीक्षिका इन्दु कुलश्रेष्ठ जी ने बताया कि इस सात वर्ष की अवधि में यहां 35-40 का निधन हुआ है जिनका अंतिम संस्कार हमने वृद्धाश्रम की ओर से विधिवत कराया है।एक बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इन्दु जी जब किसी से मिलती थी तो उनके चेहरे से उनके लिए स्नेह और सम्मान दिखाई दे रहा था। कुलदीप जी ने भी वहां से आते समय इसका उल्लेख किया।
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