रिपोर्ट :- अजय रावत


गाजियाबाद :-
        पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल गाजियाबाद महानगर के व्यापारियों द्वारा आयोजित की गई बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार का व्यापारियों के उत्पीड़न का नया आदेश को लेकर जताया विरोध जिसमें जीएसटी  के प्रावधानों के अंतर्गत  उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग करेगा सर्वे आयुक्त ,वाणिज्य कर ,उत्तर प्रदेश द्वारा 10 सितंबर को जारी एक परिपत्र के अनुसार , स्थानीय सचल दल  व्यापारियों की जांच करने के उपरांत  तलाशी  अभियान चलाएगा। इस परिपत्र के अनुसार हर माह वाणिज्यकर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा विभिन्न बिदुओं के आधार पर व्यापारियों की जांच करेगी। इस परिपत्र का सबसे दुखद एवं अमानवीय पहलु यह है किं विशेष अनुसंधान शाखा एवं सचल दल का एक कोटा बना दिया गया है , यदि किसी क्षेत्र में राजस्व पूरा प्राप्त हो रहा है तबभी विशेष अनुसंधान शाखा एवं सचल दल अपने कोटा की जांच अवश्य करेगा। 
उत्तर प्रदेश के सबसे संगठित व्यापारिक संगठन , पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल उपरोक्त परिपत्र को एक काला अध्याय की संज्ञा दी गयी है और कहा है किं  इस आदेश पत्र को जारी करने वाले अधिकारी किस मानसिक दौर से गुजर रहे हैं, तथा उनका व्यापारियों के प्रति कैसा नकारात्मक रवैया है। अगर किसी व्यापारी की किसी वर्ष बिक्री एकदम गिर गई है, अथवा एकदम बढ़ गई है तो ऐसे व्यापारियों की जांच कर उनकी तलाशी ली जाएगी।पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल ऐसे किसी भी निर्णय और कार्यवाही का पुरजोर विरोध करता है, अगर सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगती है, तो प्रदेश का व्यापारी सड़क पर उतरकर इसका विरोध करने को तैयार है। सरकारों की गलतियों को व्यापारी कब तक ढोएगा?  2016 में केंद्र ने नोटबंदी की थी उससे व्यापारी सम्भल भी नहीं पाया था। कि 2017 में जीएसटी को लागू कर उसका व्यापार उलझा दिया गया।

बहुत सारी समस्याएं और कठिनाइयों से जूझते हुए व्यापारी सरकार की मांगे पूरी करने में सरकार का साथ देता है, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल सदैव सरकार का सहयोगी रहा है । इस तरह के गैर जिम्मेदाराना परिपत्र जारी कर  व्यापारियों को आंदोलन के लिए ना  उकसाया जाए ,वह भी 2020 में मार्च से ही व्यापारी अपनी अर्थव्यवस्था को बड़ी चुनोती के साथ चला रहा है और ऐसे समय में इस तरीके के बयान व्यापारी के जले पर नमक छिड़कने के समान हैं ।इसमें  बिक्री का  बढ़ना या कम होना स्वाभाविक ही है। कुछ खाद्य पदार्थों की बिक्री में बढ़ोतरी आ सकती है जबकि अन्य व्यापारियों की बिक्री में कमी आई है ।क्या ?सरकार चाहती है कि व्यापारी भी किसानों की तरह हाईवे जाम करें अथवा अधिकारियों का घेराव करें, तब उसको व्यापारियों की समस्या का आभास होगा।

राजस्व की बढ़ोतरी की चिंता सरकार के अधिकारियों के साथ ही व्यापारियों को है।परन्तु जो एक भय का माहौल कर इकट्ठा करने के उद्देश्य से इस कठिन महामारी के दौर में प्रदेश के वाणिज्य कर अधिकारी बनाना चाहते है।उसकी जितनी निंदा की जाए कम है।

आज जब केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार राष्ट्र के व्यापार को पुनः पटरी पर लाने के भरसक प्रयास कर रही है तो ऐसा में राज्य वाणिज्य कर अधिकारियो द्वारा जारी परिपत्र यह दर्शाता है किं राज्य का वाणिज्य कर विभाग सरकारों के सभी सकारात्मक कदमो को शून्य करना चाहता है। सरकार एक तरफ इंस्पेक्टर राज को समाप्त करना चाहती है दूसरी ओर अधिकारी वर्ग व्यापारी तलाशी का अधिकार इंस्पेक्टरों के हाथो में सौप रहा है। यह सर्व विदित है जब कभी भी इंस्पेक्टर राज आया, व्यापारियों का पूर्ण शोषण हुआ है। 

आज जब अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर राष्ट्र एक गंभीर संकट से जूझ रहा है , बाज़ारो से ग्राहक गायब है , कोरोना के चलते व्यापारियों का व्यापार ठप्प पड़ा है , राष्ट्र में सबसे अधिक रोज़गार देने वाला व्यापारिक वर्ग स्वयं को असहाय महसूस कर रहा है , ऐसे में किसी भी प्रकार से व्यापारी का उत्पीड़न इस प्रकार होगा जैसे डूबती नाव में एक ओर छिद्र करना।  

 पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग  व्यापार मंडल उत्तर प्रदेश सरकार से यही आग्रह करता है,कि लगातार कई वर्षों से अर्थव्यवस्था से जूझते भारत के व्यापारियों के बारे में सरकारी अधिकारी संवेदनशीलता का परिचय दे ।और अर्थव्यवस्था के इस  नाजुक  दौर में  सरकार एवं व्यापारियों का  एक दूसरे के प्रति सहयोगात्मक  व्यवहार बना रहे ।

उदित मोहन गर्ग
 (महानगर अध्यक्ष) 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल
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