रिपोर्ट :- नासिर खान


बाराबंकी :- हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिशाल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सटे जिले बाराबंकी के देवा शरीफ की अनूठी होली के अपने ही रंग हैं और देश के कोने-कोने से होली खेलने आते हैं यहां सभी धर्म के लोग। होली रंगों भरा त्यौहार है। यह त्यौहार हर जगह अपने अंदाज से मनाया जाता है । मथुरा वृन्दावन और बरसाने की होली को देखने के लिए तो विदेशों से पर्यटक भी आते है। होली को लोग आपसी भाई चारे का त्यौहार भी मानते है बरसाने की लट्ठ मार होली तो पूरे देश विदेश में विख्यात है। मगर अभी बात बाराबंकी स्थित सूफी संत हाजी वरिश अली शाह की मजार पर खेली जाने वाली होली। रब है वही राम है का संदेश देने वाले सूफी संत हाजी वारिश अली शाह की दरगाह पर खेली जाने वाली होली में धर्म की सीमाएं टूटती नजर आती है।
जानकारी मुताबिक यहां हिन्दू-मुस्लिम एक साथ होली खेलकर, एक-दूसरे के गले मिलकर होली की बधाई देते हैं। देश भर से हिन्दू ,मुसलमान, सिख यहां आकर एक साथ हाजी वारिश अली शाह की दरगाह पर होली खेलते है। रंग ,गुलाल और फूलों से विभिन्न धर्मों द्वारा खेली जाने वाली होली देखने में ही अदभुत नज़र आती है। सैकड़ों सालों से चली आ रही इस अनूठी होली को दिल्ली से लगातार 30 वर्षों से खेलने आ रहे सरदार परमजीत सिंह बताते हैं कि वह होली पर अपने घर में कैद हो जाया करते थे मगर 30 साल पहले जब यहां होली खेलने आए तो यहां के बासन्ती रंग में रंग गए और शायद जीवन भर यह रंग उतरने वाला हैं नहीं।
वहीं मिर्जापुर से होली खेलने आई महिला ने बताया कि हाजी वारिश अली शाह के सन्देश जो रब है, वहीं राम के संदेश से इतना प्रभावित हुई कि वह अब हमेशा यहां होली खेलने आती हैं। यहां होली पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से खेली जा रही है। पहले यहां इतनी भीड़ नहीं होती थी और कस्बे के ही लोग यहां वारिस सरकार के कदमों में रंग गुलाल चढ़ाते थे। समय के साथ यहां होली का स्वरूप बदल गया और बाहर से भी यहां लोग होली खेलने आने लगे।
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