◼️मंत्र भले न बोलो, बस अंतिम संस्कार करा दो भैया


सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻


गाजियाबाद :- कोरोना संक्रमण और सामान्य मौत का आंकड़ा बढ़ा तो हिंडन मोक्ष स्थली पर अंतिम संस्कार की व्यवस्था चरमरा गई। करीब 4 घंटे की वेटिंग लग रही है। बुधवार को 60 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कराया गया। हालात यह है कि शवों का अंतिम संस्कार कराने के लिए पंडितों की संख्या कम पड़ गई है। अपनों के दुनिया से चले जाने के गम के बाद सुबह से शाम तक अंतिम संस्कार कराने के लिए इंतजार करना लोगों की पीड़ा और बढ़ा रहा है। बुधवार को लोग खुद ही शवों का अंतिम संस्कार करने लगे। वह श्मशान घाट के कर्मचारियों से कह रहे थे कि मंत्र भले ही न बोलो भैया, बस अंतिम संस्कार करा दो। अब इस ‘मिट्टी’ की दुर्दशा मत कराओ।

कोरोना संक्रमण बढ़ने से पहले जहां हिंडन मोक्ष स्थली पर रोजाना 15 से 18 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे थे, वहीं अब इनकी संख्या 65 तक पहुंच गई है। शवों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन भी करना पड़ रहा है। इसकी वजह से एक-एक शव को अंतिम संस्कार के लिए प्लेटफार्म पर भेजा जाता है। एक अंतिम संस्कार हो जाने के बाद बाद दूसरे शव को प्लेटफार्म पर भेजा जाता है। इसके चलते यहां वेटिंग लग रही है। ऐसे में शवों को घंटों तक मोक्ष स्थली परिसर में ही बाहर रखवा दिया जाता है। धूप और गर्मी में शव को बाहर की ओर रख दिए जाने से लोगों की न केवल भावनाएं आहत हो रही हैं, बल्कि उन्हें परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। बुधवार को हिंडन मोक्ष स्थली पर लगभग 40 से ज्यादा शवों का सामान्य तौर पर और करीब 20 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत कराया गया। बुधवार को कोविड प्रोटोकॉल के तहत शव का अंतिम संस्कार करने में देरी हुई तो कई लोगों ने खुद ही शव को चिता पर लेटाकर अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया। उधर, सरकारी आंकड़ों में बीते 24 घंटे में सिर्फ 8 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से होना बताया गया है।

मंगलवार को लोगों ने किया था हंगामा
मंगलवार को शव के अंतिम संस्कार में लंबी वेटिंग लग जाने के कारण लोगों ने हिंडन मोक्ष स्थली पर हंगामा किया था। लोग मोक्षस्थली के कर्मचारियों से मारपीट पर उतारू हो गए थे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने लोगों को समझाकर शांत कराया और अंतिम संस्कार की व्यवस्था कराई थी।

इसलिए गड़बड़ा रही व्यवस्था
मोक्ष स्थली पर करीब 25 पंडित और कर्मचारी तैनात हैं। इनमें से आमतौर पर 6 से 8 कर्मचारी रोटेशन के तहत कुछ दिन के लिए अपने गांव चले जाते हैं। यानी 17 से 18 पंडित और कर्मचारी ही एक समय पर यहां रहते हैं और अंतिम संस्कार का काम कराते हैं। इनमें कर्मकांड की पूरी जानकारी रखने वाले कर्मचारी करीब 10 हैं, बाकी लकड़ी लगाने या व्यवस्था कराने वाले लोग है। ऐसे में एक दिन में औसतन करीब 45 से 65 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं। 10 पंडितों के लिए इतने शवों का अंतिम संस्कार कराना आसान नहीं है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लग जाता है। एक शव के अंतिम संस्कार की कपाल क्रिया कराने तक में करीब 30 मिनट का समय लगता है। यानी 60 शव का अंतिम संस्कार कराने में 30 घंटे चाहिए, जबकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शाम सात बजे के बाद नहीं की जाती। ऐसे में यह पंडित भी शवों का अंतिम संस्कार कराने में अब 15 मिनट से ज्यादा नहीं लगा रहे हैं।

- चार दिन पहले मेरे भाई और बुधवार को मेरी मां की कोरोना की वजह से डेथ हो गई। दोनों बार अंतिम संस्कार कराने में लंबा समय लगा। मैंने देखा कि अंतिम संस्कार कराने के लिए यहां सिर्फ एक-दो पंडित ही हैं। यह बहुत पीड़ादायक हैं। बहुत दुख होता है, यह व्यवस्था बदलनी चाहिए। - राजन, इंदिरापुरम निवासी
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