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गाजियाबाद :- विद्युत शवदाह गृह के बार-बार खराब होने और मेंटेनेंस समय पर न होने की वजह से कोरोना प्रोटोकॉल के तहत शवों का अंतिम संस्कार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब नगर निगम विद्युत शवदाह गृह की दूसरी यूनिट बनाने की प्लानिंग कर रहा है। निगम अधिकारी जल्द ही इसका प्रस्ताव तैयार कराएंगे। प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद डेढ़ से दो माह में यह नई यूनिट बनकर तैयार हो सकती है।
नगर निगम के पूर्व नगरायुक्त दिनेश चंद्र सिंह के कार्यकाल में भी एक और विद्युत शवदाह गृह बनाए जाने की प्लानिंग की गई थी। उन्होंने जीडीए को भी प्रस्ताव भेजकर नई यूनिट बनवाने का आग्रह किया था। जीडीए ने हाथ खड़े किए तो निगम ने अपने स्तर पर दूसरी यूनिट लगाने का प्रस्ताव तैयार कराया था, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब नगर निगम एक बार फिर से विद्युत शवदाह गृह की दूसरी यूनिट लगाने की प्लानिंग कर रहा है। निगम अधिकारी इस संबंध में जल्द ही डीएम से वार्ता कर इस पर निर्णय लेंगे। इसके बाद प्रस्ताव बनाकर योजना पर काम शुरू किया जाएगा।

लकड़ियों की खपत भी होगी कम
दूसरा विद्युत शवदाह गृह बन जाने पर हिंडन मोक्ष स्थली पर लकड़ियों की खपत भी कम हो जाएगी। एक शव के अंतिम संस्कार में करीब 4 से 5 क्विंटल लकड़ी इस्तेमाल होती है, जबकि विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार करने पर इसकी जरूरत नहीं होती। बिजली से संचालित एक शवदाह गृह में रोजाना पांच से छह अंतिम संस्कार हो सकते हैं। ऐसे में रोजाना करीब 25 से 30 क्विंटल लकड़ियों की बचत होगी। महीने में 900 क्विंटल लकड़ी की खपत कम हो सकती है। इतनी लकड़ी कम जलेंगी तो प्रदूषण भी कम होगा और पर्यावरण को भी नुकसान कम होगा। लकड़ी की खपत ज्यादा होने की वजह से पेड़ों की कटाई भी निरंतर हो रही है।

विद्युत शवदाह गृह की नई यूनिट बनाने पर विचार चल रहा है। इस संबंध में जिलाधिकारी से वार्ता करेंगे।फंड की व्यवस्था के संबंध में भी मंथन किया जाएगा। श्मशान घाट पर पर्याप्त स्थान है, दूसरी यूनिट आसानी से बनाई जा सकती है। - महेंद्र सिंह तंवर, नगरायुक्त
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