रिपोर्ट :- विकास शर्मा


हरिद्वार :- कृषि कानूनों के विरोध में संसद घेराव के लिए हरिद्वार व रुड़की के स्थानीय किसानों ने गाड़ियों के काफिले के साथ दिल्ली कूच किया। इससे पहले किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरते हुए कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी तक वे भी घर वापसी नहीं करेंगे। सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है, जिसका खामियाजा आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा। कृषि कानूनों की वापसी के लिए दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होकर जिलेभर के किसान भी समय-समय पर अपना समर्थन देते हैं। 

स्थानीय किसान धरने में पहुंचकर सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक रहे हैं। 22 जुलाई को किसान संयुक्त मोर्चा ने शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के घेराव का एलान किया है।इसके लिए कई प्रदेशों से किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में बुधवार सुबह नारसन क्षेत्र से सैकड़ों किसानों ने गाड़ियों के काफिले से दिल्ली की ओर कूच किया। किसानों ने अपनी गाड़ियों पर बाकायदा तिरंगा लगाया हुआ था। दिल्ली कूच करने से पूर्व भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के गढ़वाल मंडल महामंत्री अरविंद राठी ने कहा कि दिल्ली में चल रहे धरने में जिले से हजारों किसान पहले ही जा चुके हैं। जिले के किसान कंधे से कंधा मिलाकर किसान हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, किसान भी घर वापसी नहीं करेंगे।

अरविंद राठी ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों को जबरन किसानों पर थोपना चाहती है, लेकिन किसान इसके विरोध में पीछे नहीं हटेंगे। दिल्ली में किसानों की लड़ाई जारी रहेगी। विजय शास्त्री ने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में किसान आठ माह से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है। टोल प्लाजा पर किसानों का धरना अभी जारी है। 

राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी देवपाल सिंह राठी बहादराबाद टोल प्लाजा पर चल रहे किसानों के धरने को समर्थन देने पहुंचे। वेदपाल सिंह राठी ने कहा कि किसान हित में कृषि कानूनों को रद्द करना जरूरी है। केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून किसानों पर थोपकर सिद्ध कर दिया है कि सरकार किसानों, गरीबों, नौकरीपेशा कर्मचारियों की नहीं उद्योगपतियों की है। इस मौके पर हरपाल सिंह, निरंकार सिंह राठी, रकम सिंह, कृष्ण कुमार पुनिया और कांजी चांद मौजूद रहे।
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