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गाजियाबाद :- उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का गाजियाबाद से गहरा नाता रहा है। 1975 में आपातकाल में गिरफ्तारी का दौर शुरू हुआ तो कल्याण सिंह 10 दिन पार्टी नेता बलदेवराज सिंह के कविनगर स्थित आवास पर रहे थे। सितंबर 2020 में उन्होंने गाजियाबाद के ही एक अस्पताल में 25 दिन भर्ती रहकर कोरोना को मात दी थी। शनिवार को उनके निधन की खबर से पार्टी नेताओं और उनके समर्थकों के चेहरे उदास हो गए।

भाजपा के वरिष्ठ नेता बलदेवराज शर्मा ने बताया कि कि कल्याण सिंह को गाजियाबाद के लोगों पर अटूट विश्वास था। वह अकसर बातचीत में यहां के लोगों का जिक्र करते थे। आपातकाल के दौरान उन्होंने कविनगर एफ-ब्लॉक स्थित उनके घर पर 10 दिन तक रहकर पार्टी संगठन को मजबूत करने की रणनीति बनाई थी। 

उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी ने बताया कि कल्याण सिंह सादगी की मिसाल थे। 1986-87 की बात है। कल्याण सिंह नेता सदन थे और पार्टी के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता के साथ गाजियाबाद आए थे। उनके आने से एक दिन पहले बालेश्वर त्यागी और तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश चंद तोमर ने अपने नेता को रिसीव करने के लिए एक परिचित से कार मांगी। अगले दिन कार न मिली तो दोनों कल्याण सिंह और प्रदेश अध्यक्ष को लेने रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए। पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी ने बताया कि उन्होंने और रमेश चंद तोमर ने रेलवे स्टेशन से बाहर आते ही कल्याण सिंह और प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता की अटैची ले ली। राजेंद्र गुप्ता ने इशारा करके कार के बारे में पूछा। कल्याण सिंह ने देख लिया। इसके बाद कल्याण सिंह ने दो रिक्शा बुलाए और दोनों उसमें बैठकर रमतेराम रोड स्थित पार्टी कार्यालय तक पहुंचे।

पश्चिम के पदाधिकारियों की बैठक में आए
बालेश्वर त्यागी ने बताया कि जनसंघ और भाजपा को बढ़ाने में कल्याण सिंह का अहम योगदान रहा। वर्ष 1996 में चौधरी भवन में पश्चिम क्षेत्र के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक थी। कल्याण सिंह उसमें शामिल होने आए थे। बालेश्वर त्यागी का कहना है कि कल्याण सिंह युवाओं को नेल्सन मंडेला की मिसाल देते थे। कहते थे कि अगर किसी देश को बर्बाद करना है तो उन्हें परीक्षा में नकल करना सिखा दो। बिना पढ़े पास होंगे तो बड़े होकर देश का बर्बाद ही करेंगे। इसी सोच के चलते ही कल्याण सिंह अपनी सरकार में नकल अध्यादेश लेकर आए थे।

सुर्खियों में रहा था गाजियाबाद का श्रीप्रकाश शुक्ला एनकाउंटर
90 के दशक में कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का आतंक इस कदर था कि उसके लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) गठित करनी पड़ी थी। शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सुपारी भी ले ली थी। 22 सितंबर 1998 की तड़के मोहननगर के पास एसटीएफ ने मुठभेड़ में श्रीप्रकाश शुक्ला को मार गिराया था। गाजियाबाद के आरडीसी में रहने वाले वीपीएस चौहान एसटीएफ की इस टीम का हिस्सा थे। पिछले साल अगस्त माह में वीपीएस चौहान का देहांत हो गया था।
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