रिपोर्ट :- अजय रावत


गाज़ियाबाद :- आज जीएसटी को लागू हुए 4 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और इस दौरान बहुत सी छोटी छोटी गलतियां व्यापारी करते रहे हैं। कभी तो जीएसटी पोर्टल ना चलने के कारण कभी कोई एंट्री गलत पड़ जाने के कारण कभी ऐसे व्यापारी से माल ले लेने के कारण जिसके द्वारा अपनी रिटर्न नहीं फाइल की गई उसका खामियाजा आज वास्तविक व्यापारी को भुगतना पड़ रहा है जीएसटी लागू होने के समय से ही उसमें जीएसटी रिटर्न संशोधन मैं कोई भी प्रक्रिया  आज तक नहीं दी गई। जिससे व्यापारी द्वारा यदि कोई गलती कर दी गई तो उसे ठीक करने का कोई प्रावधान नहीं है और आज वह छोटी-छोटी गलतियां लेट फीस एवं ब्याज के साथ व्यापारी पर बहुत बड़ा वोझ डाल रही हैं 

भारतीय उद्योग व्यापार मंडल उत्तर प्रदेश के जिला महामंत्री एडवोकेट अमन अग्रवाल ने बताया कि अब व्यापारी इन समस्याओं के कारण विवादों में फंसा हुआ है वह विवादों को कम करने के लिए एक सरकार से समाधान चाहता है व्यापारी चाहता है कि सरकार एक इस प्रकार की स्कीम लाए जिसमें व्यापारियों को ब्याज और लेट फीस दिए बिना जा कम ब्याज एवं कम पेनल्टी के साथ उनके विवादों को जल्द से जल्द निपटाया जा सके जिससे व्यापारियों के अंदर जीएसटी के प्रति एक विश्वास की भावना उत्पन्न हो और वह अधिक से अधिक जीएसटी पंजीयन ले और सुगमता से व्यापार कर सकें आज जीएसटी में यदि कोई व्यापारी कोई गलती करता है तो उस पर 18 प्रतिशत से लेकर 24 प्रतिशत तक का ब्याज लगाए जाने का प्रावधान है जबकि आज बैंकों में ब्याज की दर मात्र 4% से 5% रह गई है तो व्यापारी पर इतना अधिक ब्याज लगाना उसकी छोटी-छोटी गलतियों के कारण उचित नहीं है 

उन्होंने कहा कि हम सरकार से यह मांग करते हैं कि इस ब्याज की दर को कम किया जाए और यदि कोई व्यापारी द्वारा जानबूझकर कोई गलती ना की गई हो तो उसे बिना ब्याज के ही उसके विवाद को निपटा दिया जाए एवं जीएसटी में व्यापारियों पर 100% तक की पेनल्टी का प्रावधान है जो कि बहुत ही अनुचित है इन सब प्रावधानों को सरल करते हुए जीएसटी को भी सरल बनाया जाए और व्यापारियों के अंदर एक जीएसटी के प्रति विश्वास की भावना पैदा करने में सहयोग किया जाएl
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