सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻

गाज़ियाबाद :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के जमीन अधिग्रहण घोटाले में पहली गिरफ्तारी गाजियाबाद में हुई है। एसटीएफ मेरठ यूनिट ने गाजियाबाद से 2 ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने एक जमीन को दो-दो बार बेचकर सरकार से मुआवजा पाया। इसमें एक आरोपी एनसीआर का बड़ा बिल्डर है और दूसरा रिटायर एडीएम का रिश्तेदार है। पुलिस ने दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।

गाजियाबाद की एडीएम प्रशासन ऋतु सुहास ने बताया, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए साल 2013-14 में गाजियाबाद के 19 गांवों की 296 हेक्टेयर जमीन अधिगृहित हुई थी। पिछले दिनों जमीन अधिग्रहण घोटाले की पुष्टि होने के बाद शासन के निर्देश पर मुआवजा वितरण की पुन: जांच चल रही है। जांच में सामने आया कि गांव रसूलपुर सिकरोड और मटियाला गांव में कुछ लोगों ने एक सहकारी समिति बनाकर किसानों से सस्ते रेट पर जमीन खरीदी और फिर इस जमीन को सरकार को ऊंचे रेट पर बेच दिया।

जांच में मुआवजा राशि में करीब 22 करोड़ रुपए के घोटाले की पुष्टि हुई। सीलिंग की कार्रवाई से बचने के लिए यह सोसाइटी बनाई गई थी। सिहानी गेट थाने में इस संबंध में 19 मई को अरुण कुमार निवासी सफदरजंग दिल्ली, किशमिश निवासी कल्लूगढ़ी डासना, सुधाकर मिश्रा निवासी क्रॉसिंग रिपब्लिक गाजियाबाद, बिल्डर गोल्डी गुप्ता के विरुद्ध FIR दर्ज हुई थी।
Previous Post Next Post