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गाजियाबाद :- सोमवार को ज्येष्ठ अमावस्या पर 30 वर्ष दुर्लभ संयोग बन रहा है। सोमवती अमावस्या शनि जयंती व वट सावित्री व्रत तीन-तीन पर्व एक साथ पड रहे हैं। आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि एक ही दिन ऐसे तीन बड़े व्रत या पूजा पाठ के अवसर कभी-कभी मिलते हैं। 30 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है कि ज्येष्ठ अमावस्या पर सोमवती अमावस्या, शनि जयंती व वट सावित्री व्रत एक साथ पडने से तीन व्रतों का पुण्य एक साथ ही प्राप्त करने का मौका है। 

सोमवती अमावस्या का व्रत रखने और भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी की जाती है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को ही कर्मफलदाता शनि देव का जन्म हुआ था। साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से राहत पाने के लिए शनि जयंती पर शनि देव की पूजा करनी चाहिए। सावित्री ने सत्यवान के प्राण ज्येष्ठ अमावस्या को बचाए थे। इसी कारण हर वर्ष इस तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। 

वट सावित्री व्रत अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और पुत्रों की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या पर सोमवार को प्रातः स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें व फिर पितरों को तृप्त करें तथा दान पुण्य करें। उसके पश्चात सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। फिर शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करें। सुहागन महिलाएं शुभ मुहूर्त में वट वृक्ष, सावित्री और सत्यवान की पूजा करें और वट सावित्री व्रत की कथा सुनें।
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