रिपोर्ट :- अजय रावत

गाजियाबाद :- श्री दुधेश्वर नाथ मे भगवान शिव को अतिप्रिय श्रावन मास के द्वितीय सोमवार को अभिषेक करने के लिए शिवभक्तों की रात्री 12 बजे से ही लम्बी कतार मे खङे हो गये। भारी सख्या मे भक्त निरन्तर ऊ नमो शिवाय का जाप कर बीच बीच मे हर हर महादेव का उदघोष कर रहे थे, भोर मे लगभग चार बजे श्री दुधेश्वर मन्दिर पीठाधीश्वर श्रीमहन्त नारायणगिरि जी महाराज तथा मन्दिर विकास समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गर्ग ने वेदपीठ के आचार्य द्वारा भेजे गये पंचमेवा द्वारा विधिविधान से पंचामृत द्वारा भगवान दुधेश्वर का अभिषेक किया। अपने इष्ट दर्शन को उतावले भक्तों के चेहरे खिल उठे ओर उन्होंने दुधेश्वर के उदघोष गगन गुंजा दिया 

श्रावन का द्वितीय सोमवार का महत्व बताते हुए श्रीमहन्त नारायणगिरि जी महाराज ने कहा कि सुबह से  त्रयोदशी एवं रात्रि 9:15 बजे से चतुर्दशी जिसमें कावड़िए करेंगे जलाभिषेक जो लगातार बुधवार शाम तक चलेगा एवं बताया कि सावन मास भगवान शिवजी ने विष की उग्रता को कम करने के लिए अत्यंत ठंडी तासीर वाले हिमांशु अर्थात चन्द्रमा को धारण कर रखा है। और श्रावण मास आते-आते प्रचण्ड रश्मि-पुंज युक्त सूर्य ( वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ में किरणें उग्र आतपयुक्त होती हैं।) को भी अपने आगोश में शीतलता प्रदान करने लगते हैं। भगवान सूर्य और शिव की एकात्मकता का बहुत ही अच्छा निरूपण शिव पुराण की वायवीय संहिता में किया गया है। 

दिवाकरो महेशस्यमूर्तिर्दीप्त सुमण्डलः। 
निर्गुणो गुणसंकीर्णस्तथैव गुणकेवलः। 
अविकारात्मकष्चाद्य एकः सामान्यविक्रियः। 
असाधारणकर्मा च सृष्टिस्थितिलयक्रमात्‌। एवं त्रिधा चतुर्द्धा च विभक्तः पंचधा पुनः। 
चतुर्थावरणे षम्भोः पूजिताष्चनुगैः सह। शिवप्रियः शिवासक्तः शिवपादार्चने रतः। सत्कृत्य शिवयोराज्ञां स मे दिषतु मंगलम्‌।'

अर्थात् भगवान सूर्य महेश्वर की मूर्ति हैं, उनका सुन्दर मण्डल दीप्तिमान है, वे निर्गुण होते हुए भी कल्याण मय गुणों से युक्त हैं, केवल सुणरूप हैं, निर्विकार, सबके आदि कारण और एकमात्र (अद्वितीय) हैं। यह सामान्य जगत उन्हीं की सृष्टि है, सृष्टि, पालन और संहार के क्रम से उनके कर्म असाधारण हैं, इस तरह वे तीन, चार और पाँच रूपों में विभक्त हैं, भगवान शिव के चौथे आवरण में अनुचरों सहित उनकी पूजा हुई है, वे शिव के प्रिय, शिव में ही आशक्त तथा शिव के चरणारविन्दों की अर्चना में तत्पर हैं, ऐसे सूर्यदेव शिवा और शिव की आज्ञा का सत्कार करके मुझे मंगल प्रदान करें। तो ऐसे महान पावन सूर्य-शिव समागम वाले श्रावण माह में भगवान शिव की अल्प पूजा भी अमोघ पुण्य प्रदान करने वाली है तो इसमें आश्चर्य कैसा।

जैसा कि स्पष्ट है कि भगवान शिव पत्र-पुष्पादि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। तो यदि थोड़ी सी विशेष पूजा का सहारा लिया जाए तो अवश्य ही भोलेनाथ की अमोघ कृपा प्राप्त की जा सकती है। शनि की दशान्तर्दशा अथवा साढ़ेसाती से छुटकारा प्राप्त करने के लिए श्रावण मास में शिव पूजन से बढ़कर और कोई श्रेष्ठ उपाय हो ही नहीं सकता है।

इस अवसर मीडिया प्रभारी ने बताया कि सुबह शाम भव्य आरती श्रुगार श्री दुधेश्वर श्रुगार सेवा समिति द्वारा 108 प्रकार के व्यजंनों द्वारा भगवान को भोग लगाया गया  एव सभीकार्यकर्ता ,पुलिस प्रशासन जिला प्रशासन द्वारा व्यवस्था कि गई।  इस अवसर सभी कावड़ियों ने हाजरी का जलाभिषेक एव पुजन किया गया साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने सोमवार को निरीक्षण कर पुलिस व्यवस्था का जायजा लिया गया मौके पर साथ में एसडीएम विपिन कुमार,एसपी सिटी निपुण अग्रवाल,तहसीलदार विजय प्रकाश मिश्रा ,अनुज धर्म गर्ग उपाध्यक्ष मन्दिर विकास समिति, विजय मित्तल अध्यक्ष सिंगार सेवा समिति ने अपनी टीम के साथ पुरी व्यवस्था कि गई ,पार्षद जाकिर सैफी  ,विजय सिगल,एवं सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं प्रिंट मीडिया ने भी जलाभिषेक किया साथ सैकडों भक्तों  ने पुलिस कि कडी निगरानी मे देर रात तक जलाभिषेक किया जाएगा।
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