रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति, द्वितीय राष्ट्रपति, शिक्षाविद, भारत रत्न, मूर्धन्य विद्वान डा0 राधाकृष्णन का जन्म दिन शिक्षक-दिवस, ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरूप पार्क जीटी रोड साहिबाबाद के प्रांगण मे आयोजित किया गया, यहाँ विद्वानों, शिक्षकों का सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद, लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव ने की, मुख्य अतिथि डा विशन लाल गौड़ रहे, आयोजन, संचालन मुकेश शर्मा ने किया, सम्मानित अतिथि प्रमोद कुमार, अर्चना बहन, धर्मवीर शर्मा, मुख्य अतिथि फायर ऑफिसर दिल्ली संजीव शर्मा, लक्ष्मण प्रसाद, नीतू शर्मा तथा सैकड़ों उपस्थित भाई-बहनों ने डा0 राधाकृष्णन के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण करते हुए उनके प्रेरक विचार पर चलाने का संकल्प लिया।
    
समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि डा0 राधाकृष्णन का बाल्यकाल अभाव मे रहा, वह तरूतनी मे प्राइमरी शिक्षा ग्रहण कर पूर्ण शिक्षा मिशनरी स्कूल मे प्राप्त कर अपनी विलक्षण प्रतिभा, लगन, दूरदृष्टि, पक्का इरादा, अनुशासन से देश के सर्वोच्च पद को सुशोभित किया, लेकिन उन्होने 40 वर्ष छात्र, छात्राओं को ज्ञान-दान किया, शिक्षक भाव उनमे अंतिम क्षण तक विद्यमान रहा, उन्होने अपने जन्म दिन को एतिहासिक बनाया, तथा कहा की यदि आप सब मेरा जन्म दिन 5 सितंबर मनाना चाहते हो तो शिक्षक दिवस के रूप मे मनाना।
        
श्री यादव ने कहा कि डा0 राधाकृष्णन का मानना था कि आज देश मे अंधविश्वास, छुवाछूत, पाखंड, धर्मांधता, भेद-भाव और असमानता है, भारत का संविधान लागू होने के बाद भी बनी हुई है इसके लिए समाज दोषी नहीं है बल्कि सामाजिक व्यवस्था दोषी है, देश मे सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक असमानता को दूर करने के लिए व्यक्ति के मन मे बदलाव होना चाहिए तथा मनुष्य का दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए तभी हम समता, स्वतन्त्रता, न्याय और भाईचारा देश, समाज मे कायम कर सकते है, नफरत, असहिष्णुता का समूल नाश कर सद्भाव, प्रेम, सहयोग की भावना को बल प्रदान कर सकते है, वह शिक्षक के साथ प्रेरणा पुरुष रहे, उन्होने कहा है कि 1-टीचर वह नहीं जो स्टूडेंट के दिमाग मे फ़ैकट्स जबरन ठूँसे, असली टीचर तो वह है जो स्टूडेंट को आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे, 2- books are the means by which build bridges between cultures. 3- किताबें पढ़ने से हमे एकांत मे विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।
        
मुख्य अतिथि डा0 विशन लाल गौड़ ने कहा कि डा0 राधाकृष्णन को भारत रत्न मिलना उनकी देश सेवा और शैक्षणिक क्रांति का परिणाम था, उनका जीवन सादगी पूर्ण रहा, वे भारतीय संस्कृति, दर्शन के उद्भट विद्वान थे, गरीबी मे विलक्षण प्रतिभा के बल पर उन्होने देश मे ही नहीं, विदेश मे भी सम्मान अर्जित किया, हमे उनकी लगन, निष्ठा, आत्मविश्वास और समर्पण भाव से शिक्षा ले सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र मे ईमानदारी से कार्य करना चाहिए।
        
कार्यक्रम को सम्मानित अतिथियों ने भी संबोधित किया, प्रमुख रहे, आर0 पी0 सिंह, प्रमोद कुमार, लक्ष्मण प्रसाद, एच0 एल0 विद्यार्थी, धर्मवीर शर्मा, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, जय नारायण शर्मा, एस0 पी0 छिब्बर, अनिल मिश्र, अंशु ठाकुर। समारोह के अन्त मे पुस्तकें भेंट करने वाले शिक्षकों को माला पहना, शाल भेंटकर सम्मानित किया गया, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट ने डा0 अब्दुल कलाम नि:शुल्क पुस्तकालय, वाचनालय मे प्रतियोगी छात्रों को पुस्तक भेंट की, कार्यक्रम मे शामिल सैकड़ों शिक्षकों, छात्रों, गणमान्य नागरिकों ने डा0 राधाकृष्णन को याद किया।

प्रमुख रहे, फराह खान, सोनित सोम, चक्रधारी दुबे, सोनम वर्मा, राम जन्म यादव, नेहा शर्मा, अखिलेश कुमार शुक्ल, प्रतिभा शर्मा, नीरू यादव, सुदेश चौहान, मीना ठाकुर, प्रिंस राय, शंभू नाथ जायसवाल, देवकर्ण चौहान, रमेश भारती, पूनम शर्मा, ब्रह्म प्रकाश, सम्राट सिंह, इंद्रजीत सिंह, के0के0 सिंह, दिवाकर गोस्वामी, पवन, अमन कुमार, संदीप, लक्ष्मी नारायण, चमन सहगल, सुरेन्द्र यादव, अंकित कुमार, बुद्ध सिंह शर्मा, राजेश यादव, पुष्पेंद्र सिंह, विक्की ठाकुर, सचिन कपाड़िया, संजू शर्मा, विशाल रावत, अमन रावत, अनुराग सिंह, मो0 यासीन, राज कुमार, बृजेश कुमार, विनोद, मोहित पांडे, आदित्य कर्दम, आफताब, आशु, फ़ौजुद्दीन, विजय मिश्र, तनवीर, फिरसाद, गुड्डू यादव, अवधेश यादव आदि।
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