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गाज़ियाबाद :- जेष्ठ शुक्ल की दशमी को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार इसी दिन गंगा माता का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।
वैशाख शुक्ल सप्तमी को गंगा सप्तमी के दिन स्वर्ग से जब गंगा अवतरित हुई थी तो भगवान शिव ने उसको अपनी जटाओं में धारण कर लिया  था। राजा भगीरथ के प्रार्थना पर भगवान शिव ने एक जटा खोल करके गंगा को पृथ्वी पर आज के दिन ही छोड़ दिया था। इसलिए गंगा मां का पावन पर्व दशहरा जेष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है। इस वर्ष गंगा दशहरा  30 मई को छत्र और सिद्धि योग में मनाया जाएगा। मंगलवार को हस्त नक्षत्र होने पर छत्र योग व सिद्धि योग का निर्माण होता है।

गंगा दशहरे के दिन गंगा स्नान का बहुत ही महत्व है। लाखों लोग गंगा अथवा पवित्र नदियों में जाकर स्नान करते हैं ।जिनको गंगा स्नान का प्रत्यक्ष सौभाग्य नहीं मिलता ।वह घर पर स्नान के जल में गंगा जल मिलाकर  स्नान करके मां गंगा का ध्यान करें। प्रातकाल जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले स्नान करके भगवान शिव की पूजा करें। गंगा का ध्यान करते हुए अपने ज्ञात अज्ञात रूप से किए गए अपराधों की क्षमायाचना  करें ।आज के दिन में गंगा स्नान करके अपने पितरों को जल देने का विधान है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए घर पर अथवा तीर्थ स्थान में ब्राह्मणों को भोजन अथवा वस्त्र दान करें। इस  दिन जल संबंधी वस्तुओं का भी दान करें ।घड़ा, बाल्टी, पंखा, मीठा जल पानी आदि का दान कर सकते हैं।

इसी दिन है बुढ़वा मंगल
गंगा दशहरे के दिन बुढ़वा मंगल अर्थात बड़े मंगल का भी दिन पड़ रहा है। जेष्ठ मास के सभी मंगल को बुढ़वा मंगल अर्थात बड़े मंगल कहते हैं। वर्ष के सभी मंगल से ये मंगल बहुत ही शुभ फलदायक होते हैं। कहते हैं भगवान हनुमान जी ने इसी दिन लंका में आग लगाई थी। द्वापर युग में जब भीम को अपनी शक्ति का अहंकार हो गया था। उनके अहंकार को दूर करने के लिए हनुमान जी ने बूढ़े बंदर का रूप धारण करके रास्ता रोक लिया था। भीम उनकी पूछ को भी नहीं उठा पाए थे। उस दिन भी मंगलवार था। यह बुढ़वा मंगल अर्थात बड़ा मंगल हनुमान भगवान की प्रार्थना करने, हनुमान चालीसा ,अखंड रामायण, सुंदरकांड ,हनुमानाष्टक का पाठ करने से तथा हनुमान जी की आराधना करने से हनुमानजी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।


आचार्य शिव कुमार शर्मा, आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य गाजियाबाद
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