19 मई को है वट सावित्री व्रत इसी दिन है शनि जयंती
रिपोर्ट :- अजय रावत
गाज़ियाबाद :- वट सावित्री अमावस्या भारतीय महिलाओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है।
यह व्रत महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सुख, और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं।
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार पतिव्रता नारी सावित्री ने अपने पतिव्रत धर्म के कारण यमराज चंगुल से स भी अपने पति के प्राणों की रक्षा की थी।
तथा अपने सास-ससुर के राज्य भी वापस दिलवाने का वरदान प्राप्त किया था।
पतिव्रता महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत का करती हैं। करवा चौथ के व्रत की तरह ही भारतीय महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण व्रत है।
*19 मई को वट सावित्री पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त*
इस दिन अमावस्या रात्रि 9:22 तक रहेगी।
भरणी नक्षत्र प्रातः 7:28 तक रहेगा। इसके बाद कृतिका नक्षत्र आएगा
जो पूरे दिन छत्र योग का निर्माण करेगा। इस दिन शोभन योग भी शाम 6:15 तक रहेगा जो इस व्रत के महत्व को और बढ़ाएगा।
वट सावित्री पूजा के लिए प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठे । महिलाएं स्नानादि से निवृत्त होकर के सौभाग्य वस्तुओं से अपना श्रृंगार करें ।प्रातः काल 7:30 से और 10:30 बजे तक का कथा श्रवण का योग बहुत शुभ है। इसके पश्चात 12:00 बजे के बाद भी पूजा कर सकते हैं।
जो पतिव्रता महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है वे
बरगद के पेड़ के नीचे जाकर उसको तीन बार कलावा लपेटे और जलसिंचन करें।
पति की दीर्घायु की कामना करें। किसी बुजुर्ग महिला से सत्यवान सावित्री की कथा सुननी चाहिए । जो महिलाएं की बरगद के वृक्ष के पास नहीं जा सकती है ।तो वे 5 अथवा 7 पत्ते वाली बरगद की टहनी घर लाकर उसको स्थापित करके उसकी पूजा कर सकती हैं ।
नवविवाहिता अपने सास-ससुर अथवा अपने ससुराल की किसी बुजुर्ग महिला जेठानी, ससुर को बायना देती है।
वट सावित्री व्रत का पारायण सूर्यास्त के पश्चात अथवा अगले दिन प्रातः काल करना चाहिए।
इसे व्रत के दिन महिलाएं जल, शरबत मीठा पानी ,घड़ा ,कलश , पंखा आदि दान कर सकती हैं।
19 मई को ही है शनि जयंती
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को सूर्यपुत्र शनिदेव का जयंती मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव का जन्म इसी दिन हुआ था।
वैसे भी अमावस्या शनि का प्रिय दिन होता है।
इस दिन शनि को प्रसन्न करने के उपाय भी किए जाते हैं।
गरीबों ,निर्धन और मजदूर व्यक्तियों को भोजन अवश्य खिलाएं।
गरीबों को और अपने अधीनस्थ सेवकों को अन्न,जल ,वस्त्र, धन देकर प्रसन्न करें।
इस दिन नैतिक कार्य करने का संकल्प लें ।किसी गरीब मजदूर का हक ऩ मारे।
शनि चालीसा शनि का बीज मंत्र
*ओम् शं शनैश्चराय नमः* का पाठ करें या शनि स्तोत्र का पाठ करें।
शनि देव निष्पक्ष न्याय करने वाले देव कहलाते हैं।वह अपनी महादशा, अंतर्दशा या ढैया अथवा साढ़ेसाती में ऐसे लोगों को अधिक परेशान करते हैं, जिन्होंने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को सताया है, गरीब का हक मारा है, अनैतिक तरीके से धन कमाया है।
यदि आप नैतिक कार्य करते हैं। गरीब मजदूरों को प्रसन्न रखते हैं, तो शनि उस पर प्रसन्न होकर अपने महादशा, साढ़ेसाती अथवा ढैया की अवधि में में शुभ फल देते हैं।
इस प्रकार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि दो महत्वपूर्ण पर्वो को लेकर आती है।
आचार्य शिवकुमार शर्मा, आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य, गाजियाबाद