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गाज़ियाबाद :- राष्ट्रीय वादी जनसत्ता दल के चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रभारी बीपी त्यागी ने कहा कि मंदिर का शिखर और मूर्ति का केंद्र एक ही होने से मूर्ति में निरंतर ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है। जब हम उस मूर्ति को स्पर्श करते हैं, उसके आगे सिर टिकाते हैं तो हमारे अंदर भी वह ऊर्जा प्रवेश करती है। इस ऊर्जा से शक्ति, उत्साह और प्रसन्नता का संचार होता है और नेगेटिव ऊर्जा से छुटकारा मिलता है। इसलिये शास्त्र यही कहते है कि बिना शिखर मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होना चाहिए।

कौन कर सकता है प्राण प्रतिष्ठा ??
सदाचार सम्पन्न, यज्ञोपवित, शिखा सम्पन्न, अधिकृत पुजारी अथवा अधिकृत व्यक्ति ही मूर्ति का स्पर्श कर सकते हैं। बाकी व्यक्ति मण्डप से दर्शन कर सकते हैं। गर्भगृह में जहां तक हो सके सबका प्रवेश नहीं होना चाहिए। इन नियमों को कड़ाई से लागू करना चाहिए। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में चारो संक्राचर्य पश्चिम (शारदा)पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती
उत्तर पीठ (ज्योतिष)के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
पूर्व पीठ (गोवर्धन)के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती
दक्षिण पीठ(श्रृंगेरी) के शंकराचार्य भारती तीर्थ जी
की सहमति होनी चाहिए। किसी भी धार्मिक स्थल को नेगेटिव एनर्जी से बचाने के लिए विवादों से दूर रखना चाहिए।
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