रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी


गाजियाबाद :-
        रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता सरदार इंद्रजीत सिंह टीटू का कहना कि शहीद पुलिस वालों के परिवार व्यवस्था के खोखले पन को उजागर करना चाहते थे देवेंद्र मिश्रा जिन्होंने अपने जीवन काल में पूरी कोशिश करी कि इस अपराध जगत को मिल रहे संरक्षण चाहे वह राजनीतिक हो या प्रशासनिक का पर्दाफाश कर सकें
    लेकिन इस मुठभेड़ में विकास दुबे को मार देने के बाद क्या राज से पर्दा उठ पाएगा ? जिन बातों के बाहर आने के बाद पता नहीं कितने हैं ऐसे लोगों के नाम सामने आते जो पता नहीं कितने ही विकास दुबे जैसे लोगों को पहले बनाते हैं- अपना काम निकालते हैं और फिर व्यवस्था की भेंट चढ़ा देते हैं 
      किसी ने ठीक कहा है  पहले अपराधी को संरक्षण देते हैं और उन्हें इतना फैला देते हैं की वह उनके नियंत्रण से भी बाहर हो जाता है तब तक वे लोग इस अपराधी से अपने हित का कार्य कराते रहते हैं और बाद में उसको इसलिए खत्म करा देते हैं की उनकी सफेदपोश की छवि बनी रहे 
  उत्तर प्रदेश में जब अपराधों की बाढ़ आई हुई है तो ऐसे में क्या यह बात ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो जाती की ऐसी कौन सी ताकत हैं जो अपराध को बढ़ावा देने का कार्य कर रही हैं उन ताकतों का पर्दाफाश होना निहायत जरूरी है ----अगर विकास दुबे जज के सामने पहुंच कर उन लोगों के नाम बताता तो क्या अपराध को नियंत्रण करना और आसान नहीं होता-- लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो यह नाकामी किसकी मानी जाएगी एक अपराधी अपराध करने के बाद ऐसे माहौल में जब चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है और आवागमन भी इतना सुलभ नहीं है तब भी राज्यों की सीमाओं को पार करके भाग जाता है क्या ऐसी मुस्तैदी से अपराध रुक जाएंगे 
   मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पहले अपराध को ना रोक पाने और फिर अपराध की साजिश का पर्दाफाश ना होने की नाकामी का जिम्मेदार लेनी चाहिए इससे पहले के मुख्यमंत्री वी पी सिंह जी ने 1982 में नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था जब डाकुओं पर वह कंट्रोल नहीं कर पाए थे जबकि उनके लिए भाई जज साहब का भी डाकुओं ने हत्या कर दी थी  क्या योगी जी ऐसे नैतिकता दिखाने की हिम्मत कर पाएंगे आपका अपना 

राष्ट्रीय प्रवक्ता लोकदल
 इंद्रजीत सिंह टीटू
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