रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी
गाजियाबाद :-
हिंडन शमशान घाट पर शवों के अंतिम संस्कार में प्रयोग होने वाली लकड़ी की कीमत को लेकर हाय तौबा मचा है। तरह-तरह के आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। लेकिन वही ताज्जुब इस बात का है कि मोक्ष स्थली पर अंतिम संस्कार को लाए जाने वाले मृतकों के परिजन लकड़ी की कीमत को लेकर कोई विरोध नहीं कर रहे फिर लकड़ी की कीमत को लेकर इतना तमाशा क्यों। यह बात दीगर है कि लोकतंत्र में अपनी बात कहने का हक हर किसी को है। मगर बात हो तो हर उस पहलू पर जिससे जनता का हित हो।
गाजियाबाद नगर निगम सीमा के 100 वार्डों में हिंडन शमशान घाट के अलावा कई और श्मशान घाट है। जहां 1000 से लेकर 12 सौ रुपए कुंतल की दर पर लकड़ी बेची गई। क्या कभी किसी ने उन श्मशान घाटों पर उंगली उठाई। जवाब होगा कि किसी ने शिकायत नहीं की या श्मशान घाट पर नगर निगम का दखल नहीं है, तो शायद हिंडन मोक्ष स्थली पर अंतिम संस्कार क्रिया में लगे कर्मचारियों का वेतन भी निगम नहीं दे रहा और ना ही लावारिस शवों के संस्कार में प्रयुक्त होने वाली लकड़ी निगम दे रहा है और तो और शहर के तमाम गणमान्य व पार्षद अपने खास परिचितों के मृतकों के शवों के संस्कार के लिए भी क्रिया कर्म में आने वाले खर्च को निशुल्क या कम पैसों में कराने का दबाव बनाते हैं । सिटी न्यूज़ श्मशान घाट समिति का पक्षधर नहीं है लेकिन कई ऐसे सवाल हैं जो इस विवाद में किसी साजिश की बू को जन्म दे रहे है। लकड़ी की अधिक कीमत वसूलना गलत है लेकिन पहले अन्य पहलुओं की भी पड़ताल होना जरूरी है। 1 सप्ताह से हाय तौबा मची है कि श्मशान घाट पर 900 रुपए कुंतल लकड़ी बेची जा रही जबकि पता चला है कि लकड़ी की कमी के दौरान कुछ दिनों के लिए करीब डेढ़ सौ रुपए कुंतल की दर से लकड़ी की कीमत बढ़ाई थी जो कुछ दिन बाद घटाकर 750 सौ रुपए कुंतल कर दी गई। शमशान घाट के कर्ताधर्ता आचार्य मनीष शर्मा का कहना है कि उन्हें नगर निगम या कहीं और से कोई अनुदान नहीं मिलता। इसी लकड़ी की कीमत पर वह अब तक सैकड़ों लावारिस शवों का संस्कार कर चुके हैं। यही नहीं श्मशान घाट पर तैनात करीब दो दर्जन कर्मचारियों का वेतन भी यहीं से निकालना होता है ऊपर से तमाम राजनीतिक व गणमान्य लोगों के परिजनों के मृतकों के अंतिम संस्कार में भी उन्हें सहयोग के लिए कहा जाता है। इसके साथ ही वृद्ध आश्रम कुष्ठ आश्रम व अन्य निर्धन लोगों के संस्कार में भी मदद की जाती है जबकि महानगर के अन्य श्मशान घाटों पर लावारिस शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। पड़ताल में पता चला कि बाजार में 1200 रुपए से लेकर अट्ठारह सौ रुपए कुंतल लकड़ी बेची जा रही है और तो और महानगर के कुछ श्मशान घाटों पर ₹1000 से ₹12 सौ प्रति कुंतल लकड़ी दी जाती है लेकिन किसी ने कभी आवाज नहीं उठाई। जबकि हिंडन शमशान घाट पर लकड़ी की कीमत को लेकर हाय तौबा मचा है ।
सूत्र बताते हैं कि पूर्व में निगम ने लावारिश शवों के अंतिम संस्कार करने का जिम्मा लिया था लेकिन आज तक निगम ने लावारिस शवों के संस्कार के लिए फूटी कौड़ी नहीं दी। जब निगम संस्था को कोई सुविधा या किसी प्रकार का अनुदान नहीं देता तो लकड़ी की कीमत तय करने का हक भी निगम को नहीं। यदि निगम को सस्ती दर पर या निशुल्क लकड़ी देनी है तो वह स्वयं उद्यान विभाग द्वारा या अपने निजी खर्च पर अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी उपलब्ध करा सकता है। श्मशान घाट पर शवों के अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की कीमत को लेकर हाय तौबा मचाना कहाँ तक जायज है यह तो आम जनता या आरोप लगाने वाले बेहतर समझ सकते है। लेकिन शव तो चिता पर लकड़ी में जलकर खाक हो जाता मगर चिता की आंच किसी और को झुलसा रही है।