◼ 26 जून की रात से लापता है बिल्डर
◼ मुजफ्फरनगर के तितावी थाना क्षेत्र से बरामद हुई थी कार
◼ पिछली सीट पर खून के धब्बे मिलने से अनहोनी की आशंका
◼पुलिस कर रही है हर बिंदुओं पर जांच
रिपोर्ट :- तोषिक कर्दम
गाजियाबाद :-
थाना सिहानीगेट क्षेत्र से बीते 5 दिन से गायब बिल्डर विक्रम त्यागी जहां हो सकुशल हों यह परिवार उनके परिचित संबंधी ही नहीं हर नागरिक के साथ पुलिस भी चाहती है कि वह शीघ्र अपने घर आ जाएं। लेकिन जिस तरह वह अचानक लापता हो गए उससे स्वजनों का दिल बैठा जा रहा है कि आखिर विक्रम यकायक कहां चले गए या उनका किसी ने अपहरण कर लिया। लेकिन अपहर्ताओं का परिजनों से किसी प्रकार से संपर्क ना करना और भी चिंता को जन्म देता है। लापता होने के अगले रोज उनकी कार मुजफ्फरनगर के थाना तितावी क्षेत्र के एक होटल के पीछे लावारिस हालत में मिली। कार की पिछली सीट पर खून के दाग मिलने से किसी अनहोनी से भी इनकार नहीं किया जा सकता ।विक्रम को गायब हुए 5 दिन बीत गए हैं। लेकिन पुलिस अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। अधिकारियों का वही रटा रटाया जवाब, तलाश जारी है, पुलिस हर कोशिश में है कि विक्रम शीघ्र से शीघ्र मिल जाए इसके लिए तेज तर्रार पुलिस कर्मियों की टीम गठित की गई है। वहीं इससे इतर पुलिस ने जिस तरह मंगलवार को ड्रोन कैमरे से हिंडन नदी व आसपास इलाके में पड़ताल की उससे तो लगता है कि फिलहाल पुलिस के हाथ में अभी तक ऐसी कोई लीड नहीं मिली है जिससे वह बिल्डर की बरामदगी का मसला सुलझाने में मदद करती। पुलिस अभी तक भूसे के ढेर में सुई ढूंढने का काम कर रही है। कुछ लोगों की राय थी कि पुलिस अपने डॉग स्क्वायड की टीम में शामिल लीना की मदद लेती तो शायद कोई हल निकल सकता था। परिजन खुद हैरान है कि विक्रम आखिर अचानक कहां गायब हो गए। कार में मिले खून के धब्बों से वह किसी अनहोनी घटना को सोचकर बेचैन हो रहे हैं। लेकिन सवाल है कि कार तितावी क्षेत्र में एक होटल के पीछे मिली और पुलिस हिंडन में ड्रोन कैमरे से खोजबीन कर रही है,आखिर खाकी के दिमाग में चल क्या रहा है। हालांकि पुलिस का मानना है कि अपराधी आजकल पुलिस से चार कदम आगे की सोचता है अधिकारियों का मानना है कि पुलिस को गुमराह करने के लिए अपराधियों ने विक्रम को अगवा कर कार गैर जनपद में छोड़ दी हो लेकिन यहां यह भी तर्कसंगत होगा कि किसी घटना को अंजाम देना होता तो अपराधी कार को कहीं भी छोड़ सकता था। क्योंकि उसे पता होता है कि हो ना हो देर सवेर वह पुलिस गिरफ्त में आएगा जरूर। 26 जून की रात अचानक लापता होना किसी अपहर्ता का परिजनों से किसी प्रकार से संपर्क ना करना, कार का गैर जनपद क्षेत्र में मिलना, मोबाइल की आखिरी लोकेशन का खुलासा ना होना आदि पुलिस जांच को उलझा रही है। पुलिस अधिकारी कुछ खुलकर भले ना कह पा रही हो लेकिन पुलिस टीम इस केस को बड़ी सतर्कता से हर एक पहलू को ध्यान में रखकर सुलझाने की कोशिश में जुटी है। लेकिन फिलहाल पुलिस के पास ऐसा कोई जवाब नहीं है कि वह किसी एक विंदू को आधार मानकर जांच का दायरा बढ़ाए इसलिए वह भूसे के ढेर में सुई तलाशने की कहावत को चरितार्थ करते हुए आगे की रणनीति पर चल रही है। पुलिस जांच में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें लापता होने वाले व्यक्ति को परिजन व पुलिस ढूंढने में एड़ी चोटी का जोर लगा देती है लेकिन बाद में पता चलता है कि लापता शख्स स्वयं ही बिना बताएं किन्हीं कारणवश घर से चला गया पुलिस इस बिंदु पर भी नजरें गड़ाए हुए है।