पहले गुनाह किया तो दौलत मिली, फिर दौलत के लिए गुनाह करने लगा विकास।

रिपोर्ट :- सोबरन सिंह

गाजियाबाद :-
         तीन दशक पहले मामूली लूटपाट और हफ्ता वसूली करने वाला कुख्यात विकास दुबे ने बीते दो दशकों के दौरान बेहिसाब दौलत कमाई ।गुनाह के रास्ते से हुई कमाई को उसने जमीनो रियल एस्टेट कारोबार और तमाम दूसरी बेनामी संपत्तियों में निवेश किया। देखते ही देखते विकास दुबे ने अपना आर्थिक साम्राज्य इतना बड़ा कर लिया कि सियासत से लेकर पुलिस महकमे के लोगों तक को उसने अपना गुलाम बनाना शुरु कर दिया। पूरे देश में गुनाह का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे विकास ने जितनी तेजी से खौफ की दुनिया में अपना नाम कमाया उतनी ही तेजी से उसकी काली कमाई भी बढ़ी। बुलेट से लेकर बीएमडब्ल्यू तक दौलत की सीढ़ियां चढ़ता गया विकास अपने रसूख गुंडागर्दी और गुर्गों के दम पर विकास अब वहां पहुंच चुका था जिसके बारे में किसी को अंदाजा तक नहीं था। बेहद आम से परिवार से ताल्लुक रखने वाला विकास करोड़ों की नामी बेनामी संपत्ति का मालिक बन चुका था।

 8 पुलिस कर्मियों का नरसिंहार करने की खूनी साजिश विकास के दिमाग में ऐसी ही नहीं बनी थी बल्कि इसके पीछे थी उसके करोड़ों रुपए की हनक और खाकी से उसकी जबरदस्त सेटिंग। सूत्रों की मानें तो विकास और उसके परिवार के नाम करीब ढाई सौ बीघा जमीन है व बिकरु गांव में हजारों स्क्वायर फीट के घर में रहता था उसके पास महंगी गाड़ियों का काफिला था। सूत्रों की माने तो विकास ने अपनी पत्नी और अपने भाई के नाम ढेरो जमीन खरीद रखी थी। बिकरु, दिलीप नगर, काशीराम निवादा में उसके और रिश्तेदारों के नाम पर कई प्लाट व खेत है। विकास और उसके भाई का लखनऊ के इंदिरा नगर में भी मकान है। इन मकानों की कीमत भी करीब 5 से 7 करोड़ बताई जा रही है। चौबेपुर से कल्याणपुर जाने वाले रास्ते और आसपास के 20 किलोमीटर तक के इलाके में विकास दुबे का खौफ उसे हर रोज अमीर बनाता चला गया। खौफ ऐसा कि उसे ना कहने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस इलाके की बेशकीमती जमीनों को उसने कौड़ियों के दाम में खरीदा। चौबेपुर से कल्याणपुर तक करीब 400 फैक्ट्रियों से वह रंगदारी लेता था हर महीने की 1 से 3 तारीख के बीच उसके गुर्गे वसूली किया करते थे। कभी धमकाकर तो कभी मारपीट कर जैसे भी हो उसने इस इलाके की तमाम जमीनों पर कब्जा किया पहले तो वह जमीने खुद के नाम पर खरीदता था लेकिन बाद में उसने जमीनों के कारोबार में अपने तमाम गुर्गों और कुछ ऐसे लोगों को शामिल किया जिनके नाम पते पुलिस के लिस्ट में साफ सुथरे थे। बताया जाता है कि चौबेपुर से कल्याणपुर तक के इलाके में छोटी-बड़ी करीब चार सौ फैक्ट्रियां है जिनमें से ज्यादातर विकास दुबे को चढ़ावा चढ़ाती थी। विकास का खौफ ऐसा था कि इनमें से तमाम फैक्ट्री के मालिक विकास दुबे को एक निश्चित रकम हर महीने पहुंचाया करते थे जिसकी वजह से विकास की हर महीने की आमदनी करोड़ों रुपए थी।

सूत्र बताते है कि पुलिस यह जानती है कि विकास के पास कानपुर कानपुर देहात उन्नाव लखनऊ में तमाम संपत्ति है लेकिन इनमें से ज्यादातर संपत्तियां बेनामी है यानी किसी और के नाम। इन बेनामी संपत्तियों का पता लगाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि जिन के नाम संपत्ति है उनके मुंह सिले हुए हैं। लिहाजा अब तक पुलिस कानपुर के ही दो बड़े कारोबारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर चुकी है। पता चला है कि अपनी करोड़ो की काली कमाई को विकास अपने कुछ सफेदपोश साथियों के जरिए रियल एस्टेट और होटल जैसे कारोबार में इन्वेस्ट कर रहा था। ऐसा इसलिए कि हर महीने हो रही करोड़ों की काली कमाई का हिसाब दे पाना उसके बस में नहीं था लिहाजा उसने ऐसे लोगों को चुना था जिनका पुलिस में रिकार्ड पूरी तरह क्लीन था।


करोड़ो की काली कमाई का यह साम्राज्य विकास दुबे के आर्थिक साम्राज्य को इतना मजबूत करता चला गया जिसकी वजह से सिस्टम में बैठे तमाम लोग उससे पैसों के लालच में जुड़ते चले गए। विकास ने पहले गुनाह किया  तो उसे दौलत मिली फिर वह दौलत के लिए जुर्म करता रहा।
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