सिटी न्यूज़ हिंदी◼

         
तरु की डायरी 🖌️
        आज बड़ी दीदी ने ससुराल से मुझे व्हाट्सएप पर एक फोटो  भेजी। जो हाथ से बनी सुंदर राखी थी देखते ही आंखो से आंसू छलक गए.... आज पैसे होने पर भी कोरोना बीमारी की वजह से बाजार की राखी खरीदना सही नहीं समझा और एक वो समय था जब राखी खरीदने के लिए घर में पैसे नहीं होते थे!आज घर में सभी कमा रहे हैं सभी खुशहाल जीवन जी रहे हैं त्योहार आते ही मिठाइयों के ढेर लग जाते हैं अच्छे-अच्छे कपड़े महंगी से महंगी राखी आज भाई के हाथ में बांधते हैं और वैसे ही भाई महंगी से महंगी तोहफा या कैश हाथ में देता है।...... लेकिन उस साल की राखी में 3 दिन रह गए थे हम तीनों बहनें पढ़ाई के बाद अपने हाथों से राखी बना रही थी रेशम के धागे को बट कर उसमे मोती पिरो कर कोन सबसे सुंदर राखी बनाएगा ये बहनों में होड़ लगी थी इकलौते छोटे भाई के कलाई में कोन सबसे सुंदर राखी बंधेगा। राखी का दिन आया सुबह उठे और घर की सफाई कर मम्मी के हाथ की सिली हुई नई सुती फ्रॉक हम तीनों बहनों ने नहा कर पहन लिया। मै राखी की प्लेट सजा रही थी रखी ,रोली,चावल पर मिठाई के नाम पर चीनी रखती तभी मम्मी ने कहा खलते में 4 बेसन के लड्डू रखे है पलेट में रख ले। ओह सुन मुंह में पानी आ गया मम्मी मेरे चेहरे के भाव पढ़ लिए थे बोली तू मत खा लेना भाई के लिए आए हैं बचपन मासूम और निश्चित होता है पर मालूम था यह मिठाई रीतियों को निभाने आई थी रीति को निभाने के बाद भी हर साल की तरह कोई तोहफा नहीं मिलना था हम बहने जमीन में चद्दर बिछाकर पूरब की तरफ मुंह करके  भाई को बैठाया। एक एक करके तीनों ने भाई को टीका कर राखी बांधी और मिठाई खिलाई लेकिन कुछ क्षणों बाद जो हुआ उस पल को आज तक नहीं भूल पाती 7 साल का छोटा भाई अपनी शर्ट की जेब में हाथ डालता है फिर बड़ी दीदी को 50 पैसे मझली दीदी को 20 पैसे और मुझे 10 पैसे देकर बोला ये लो "राखी का तोफा" मेरे लिए आज के महंगे तोहफो के आगे वह तोहफा बहुत अनमोल था।।
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