अध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक सरदार मंजीत सिंह की कलम से 🖋️

दोस्तों जब कि इंसान को 84 लाख जूनियों में सबसे उत्तम जूनि माना गया क्योंकि इंसान के पास एक सोच समझ है बाकी जीवो के पास नहीं फिर भी सभी जूनियो में सबसे दुखी इंसान ही है !

दोस्तों कभी सोचा है कि इंसान दुखी क्यों रहता है, उसकी वजह खुद इंसान है उसके मांगने की आदत से ही वो दुखी रहता है बिना सोचे समझे परमात्मा से मांगना

इंसान रोज जाकर खड़ा हो जाता है पूजा स्थलों पर परमात्मा से मांगने के लिए मगर इंसान में कभी नहीं सोचा जो तू मांग रहा है उससे कोई संकट तो तुम्हारे ऊपर नहीं आएगा या वह मांग साथ में कोई दुख तो नहीं लाएगी
दोस्तों इंसान मांगता तो अपने लिए सुख ही है, मगर उसकी लालच कितनी होती है कि दुख भी साथ आ जाता है,

दोस्तों इंसान दुख आने पर रोता है और रोते रोते अपना दुख दुनिया में गायेगा, मगर कभी उसने यह नहीं बताया कि यह दुख आया क्यूं कैसे तो दोस्तों सुन ले हमारा लालच ही हमारे दुखों का कारण है,

दोस्तों दुख आने पर हम परमात्मा को दोष देने लगते हैं, मगर दुख के कारण हम खुद हैं, हमारा लालच ही हमारे दुखों का कारण है,
एक मछली ने मांस खाने की इच्छा जाहिर की और बिना सोचे समझे मांस का टुकड़ा देख लालची हो गई, मछली ने मांस के पीछे लगे कांटे को नहीं देखा उसने दुख को खुद ही न्योता भेजा,

दोस्तों परमात्मा से हमेशा यही कहना चाहिए कि जो मांगू वो मुझे मत देना पहले परमात्मा उस की शुद्धीकरण कर लेना और फिर मुझे देना !
दोस्तों हम परमात्मा से मांगने तो रोज खड़े हो जाते हैं, मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे मे मगर हम स्वार्थी बन सिर्फ अपने लिए मांगते हैं, सरबत का भला हमने कभी नहीं मांगा दोस्तों समझ ले अगर आप सरबत का भला मांगते हैं तो जान लीजिए आपका भला तो खुद ही होगा मगर हम स्वार्थी हैं, स्वार्थ से भरे हैं हम, सिर्फ अपने लिए मांगते हैं.

दोस्तों बल्की सरबत का भला हम कैसे मांग सकते हैं, क्योंकि हम तो खुद ही दूसरों के नुकसान की अरदास करते हैं, दूसरों को दुख आए ऐसी अरदास करते हैं.
दोस्तों कभी सोचा है हम रोजाना परमात्मा के दर पहुंच मांगना शुरू कर देते हैं, हम दुनियावी  वस्तु धन दौलत ही परमात्मा से मांगते हैं क्या कभी हमने परमात्मा से परमात्मा को मांगा !

दोस्तों जिस दिन परमात्मा से परमात्मा को मांग लोगे उस दिन से फिर कुछ मांगने की नौबत ही नहीं आएगी !
इंसान को सब्र में जीवन जीना चाहिए, सब्र में जीने वाला इंसान परमात्मा अगर खुशी दे तो भी खुश और अगर परमात्मा दुख दे तो भी परमात्मा का प्रसाद समझ जिंदगी में आनंद पा जाता है,
दोस्तों परमात्मा से इतना ना मांगो की सुख के साथ साथ दुख भी साथ आ जाए या तब दुख सहन करना अन्यथा परमात्मा से उतना ही मांगो जो सबके लिए सुख के दरवाजे खुले

दोस्तों भिखारी बनना छोड़ दो भिखारी नहीं परमात्मा से परमात्मा को मांगो जिस दिन परमात्मा तुम्हारे साथ हो गया फिर जिंदगी मैं कुछ मांगना नहीं पड़ेगा, फिर खुशियां बांटने वाले बन जाओगे,
दोस्तों सब्र में जिंदगी जी कर परमात्मा के हुक्म में चलता हूं, आपका दोस्त आपका भाई 

मंजीत बोल रहा हूं
परमात्मा की राह नामक किताब का यह पन्ना आपके भाई द्वारा लिखा गया है अवश्य पढ़ा करें पढ़ोगे तो परमात्मा से जुड़ेंगे आपको परमात्मा की राह का निमंत्रण देने आया हूं, जो इंसान या संस्था पढ़कर आगे पढ़ने का न्योता देती है उसका तो मैं वैसे ही ऋणी हूं, आप का कर्ज चढ़ रहा है जिंदगी रही तो उतार दूंगा.

आपका दोस्त सरदार मंजीत सिंह अध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक विचार

सिटी न्यूज़ हिंदी..….✍🏻
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