रिपोर्ट :- सिटी न्यूज़ हिंदी


गाजियाबाद :-
       'हे गुरुदेव नमन तुमको,कितना उपकार किया तुमने।माटी के कच्चे ढेले को,
सुंदर आकार दिया तुमने।।' ज्योति शर्मा (संगीत शिक्षिका) ने सभी शिक्षकों को नमन करते हुए कहा है कि हमारे शास्त्रों में गुरु को ईश्वर से भी बढ़कर बताया गया है। गुरु ही है जो अपने शिष्यों को अक्षर ज्ञान से लेकर जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए न केवल प्रेरित करता है बल्कि जीवन यात्रा में आने वाले हर संकट का सामना करने के लिए तैयार भी करता है। तभी तो एक नन्हे से बालक को उसके शिक्षक को सौंपकर माता पिता निश्चिंत हो जाते हैं कि अब उनका बच्चा एक सुरक्षित हाथों में है और शिक्षक भी पूरी निष्ठा से अपने छात्र छात्राओं को भविष्य के लिए तैयार करने में पूरी निष्ठा और लगन से जुटे रहते हैं। विद्यालय में शिक्षक केवल अध्यापक ही नहीं बल्कि एक माता, पिता, संरक्षक, मित्र और न जाने कितने ही दायित्वों का निर्वाह करते हैं। वे अपने बच्चों को जहां प्रेम से सभी विषयों को पढ़ाते हैं, उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं, वहीं गलती करने पर दंडित करने का अधिकार भी रखते हैं। उनकी डांट में भी उनका प्यार छिपा रहता है। उन्होंने कहा कि संत कबीर ने बड़ा सुंदर लिखा है-
'गुरु कुम्हार ,शिष्य कुंभ है, गढ़- गढ़ काढ़े खोट।अंतर हाथ सहार दे, बाहर मारे चोट।।'
वर्तमान में ही नहीं बल्कि आदिकाल से चली आ रही है यह गुरु शिष्य परंपरा। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ से शिक्षा पाई तो द्वापर में प्रभु श्रीकृष्ण संदीपन गुरु के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने गए। स्वामी रामानंद ने संत कबीर जैसे शिष्य को तैयार किया, तो रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद जी को शिक्षा प्रदान की।
ऐसे ही एक महान शिक्षक (जो कि हमारे देश के महामहिम   राष्ट्रपति भी रहे) डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी जिन्होंने अपने जन्मदिवस को ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा रखी थी।शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर मैं अपने सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम करते हुए हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। प्रभु से ये प्रार्थना करती हूं कि मुझ पर मेरे गुरुजनों की कृपा सदा ही बनी रहे। मै हर उस छोटे बड़े शख्स का हृदय से आभार व्यक्त करती हूं, जिससे मुझे कभी भी कुछ भी सीखने को मिला। अंत में कुछ पंक्तियां सभी शिक्षकों को समर्पित करती हूं-
'कभी डांटकर अपना प्यार जताया,कभी रोक टोक कर चलना सिखाया।कभी काली स्लेट पर चाक से, उज्जवल भविष्य का सूरज उगाया।ढाल बनकर हर मुश्किल से बचाया,कभी हक के लिए लड़ना सिखाया।कभी गलती बताकर कभी गलती छुपाकर,
सच्चे गुरु का फ़र्ज़ निभाया।
कभी मां बाप बनकर दी सलाह,
दोस्त बनकर कभी हौसला बढ़ाया।नमन करती हूं उन सभी शिक्षकों को,जिन्होंने मुझे आज किसी काबिल बनाया।'
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