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गाजियाबाद :-
         समाजवाद प्रवर्तक अग्र शिरोमणि महाराज श्री अग्रसेन जी की 5144वीं जयंती है जिन्होंने अपने राज्य में एक रुपया ओर एक ईंट की प्रथा का एलान किया कि राज्य में कोई भी व्यक्ति रहने आयेगा उसे सभी घर एक रुपया ओर एक ईंट देंगे जिससे उसका घर व व्यापार स्थापित हो जाये
श्री अग्रसेन महाराज जी का जन्म मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम की चौंतीसवी पीढ़ी में सूर्यवशीं क्षत्रिय कुल के प्रतापनगर के महाराजा वल्लभ सेन के घर द्वापर युग के अंतिम भाग में महाभारत काल में जन्म हुआ था जो की समस्त खांडव प्रस्थ बल्लभगढ़ अग्र जनपद  आज की दिल्ली बल्लभगढ़ और आगरा  के राजा थे महाराज अग्रसेन एक क्षत्रिय सूर्यवंशी राजा थे। जिन्होंने प्रजा की भलाई के लिए वणिक धर्म अपना लिया था।
देशमें 22 करोड वैश्य आर्थिक विकास तथा संपन्नता की मुख्य धुरी है। वैश्य समाज किसी की दया पर नहीं अपितु स्वाभिमान के साथ जीना जानता है। दुनिया भले ही आरक्षण की मांग करें, लेकिन वैश्य समाज की प्रतिभा आज भी बिना किसी के मोहताज हुए स्वाभिमान के साथ मजबूती से जीवन जीती है।

 महाराजा अग्रसेन ने एक तंत्रीय शाषण प्रणाली को समाप्त कर विश्व में सर्वप्रथम अपने ढंग की अनोखी लोक तंत्रीय शाखा प्रणाली का शुभारंभ किया। वस्तुतः, अग्रवाल का अर्थ है अग्रसेन के बच्चों या अग्रसेन के लोग हरियाणा क्षेत्र के हिसार के पास प्राचीन कुरु पंचला में एक शहर, जिसे अग्रसेन ने स्थापित किया था।

 अग्रवाल समाज के लिए तीर्थ के समान है। महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का अग्रदूत कहा जाता है। अपने क्षेत्र में सच्चे समाजवाद की स्थापना हेतु उन्होंने नियम बनाया कि उनके नगर में बाहर से आकर बसने वाले व्यक्ति की सहायता के लिए नगर का प्रत्येक निवासी उसे एक रुपया व एक ईंट देगा जिससे आसानी से उसके लिए निवास स्थान व व्यापार का प्रबंध हो जाए। महाराजा अग्रसेन ने तंत्रीय शासन प्रणाली के प्रतिकार में एक नयी व्यवस्था को जन्म दिया उन्होंने पुनः वैदिक सनातन आर्य सस्कृंति की मूल मान्यताओं को लागू कर राज्य की पुनर्गठन में कृषि-व्यापार उद्योग गौपालन के विकास के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा का बीड़ा उठाया। भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनना है, तो वैश्य समाज को मजबूत करना होगा
महाराजा अग्रसेन जी इसलिए ही पूजनीय नही है कि वह हमारे पूर्वज थे। वरन उन्होंने समय की मांग को देखते हुए अहिंसा व समाजवाद के आधार पर एक अच्छी शाशन व्यवस्था की नींव डाली तत्कालीन डांवाडोल परिस्थितियों में समाजवाद का एक सरल उदाहरण राज्य में विकसित किया जो सदियों तक अनुकरणीय रहेगा। 
उनकी राजधानी अग्रोहा थी अग्रोहा जनपद के महाराजा अग्रसेन ने धर्म और जनकल्याण को अपने राज्य का आधार बनाकर ऐसे आदर्श राज्य की स्थापना की जहाँ न कोई अमीर था न ही गरीब सभी को जीवन यापन की सुख सुविधाएं समान रूप से अपलब्ध थी वर्ग संघर्ष के बिना स्वतंत्रता, समानता,लोकतंत्र ओर भाई चारे जैसे आदर्शो को साकार रूप देकर एक अत्यंत आदर्श लोककल्याण कारी समाजवाद का अनूठा शासन लाकर ऊंचनीच की भावना को समाप्त किया।
महाराजा अग्रसेन के अग्रोहा राज्य के विषय मे अनेको कथाएं प्रचलित है परंतु उनमे एक ईंट एक मुद्रा की किदवंती सार्वधिक लोकप्रिय है अग्रोहा में सभी समुर्द्ध संगठन प्रेमी व समाज हितेषी थे उन्होंने नियम बनाया की राज्य में कोई नया नागरिक आये तो प्रत्येक परिवार एक ईंट एक मुद्रा देकर सहयोग करे ताकि वह एक ही दिन में रुपयों से व्यपार करने लगे व ईंटो से अपना मकान निर्मित करा लें अथवा यदि कोई भी देवी विपत्ति का शिकार हो जाता तो समस्त राज्य के परिवार उसे एक ईंट एक मुद्रा स्वेच्छा से देते थे और वह परिवार पुनः अपनी स्थिति सुधार लेता था समाजवाद का ऐसा अदभुत उदहारण अन्य कही नही मिलता।
• २४ सितंबर १९७६ में भारत सरकार द्वारा २५ पैसे का डाक टिकट महाराजा अग्रसेन के नाम पर जारी किया गया। सन १९९५ में भारत सरकार ने दक्षिण कोरिया से ३५० करोड़ रूपये में एक विशेष तेल वाहक पोत (जहाज) खरीदा जिसका नाम "महाराजा अग्रसेन रखा गया। जिसकी क्षमता १८००००० टन है। राष्ट्रीय राजमार्ग -१० का आधिकारिक नाम महाराजा अग्रसेन पर है। 
• अग्रसेन की बावली जो दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास हैली रोड में स्थित है। यह ६० मीटर लम्बी व १५ मीटर चौड़ी बावड़ी है जो पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम १९५८ के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में हैं। सन २०१२ में भारतीय डाक अग्रसेन की बावली पर डाक टिकट जारी किया गया।
• एक सर्वे के अनुसार देश की कुल इनकम टैक्स का २४% से अधिक हिस्सा अग्रसेन के वंशजो का हैं। कुल सामाजिक एवं धार्मिक दान में ६२% हिस्सा अग्रवंशियों का है।
• भारत में कुल ५०००० मंदिर व तीर्थस्थल तथा कुल १६००० गौशालाओं में से १२००० अग्रवंशी वैश्य समुदाय द्वारा संचालित है।
• भारत के विकास में २५% योगदान महाराजा अग्रसेन के वंशजो का ही हैं जिनकी जनसंख्या देश की जनसंख्या में महज १% है।
• अग्रवाल और राजवंशी समूदाय के लिए तीर्थस्थान अग्रोहा हिसार जिला में भव्य अग्रसेन मंदिर का उद्घाटन ३१ अक्टूबर सन १९८२ को संपंन हुआ।
• २९ सितंबर १९७६ को अग्रोहा धाम की नींव रखी गई एवं अग्रसेन मंदिर का निर्माण कार्य जनवरी १९७९ में वसंत पंचमी को आरंभ हुआ।
• दिल्ली के निकट सारवान ग्राम में प्राप्त सन १३८४ फाल्गुनी सुदी ५ मंर के शिला लेख में ९९ वाणिजाय निवासिना शब्द अंकित है, जो की नेशनल म्युजियम क्रमांक बी-६ में सुरक्षित रखा हैं।
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