योग शिक्षिका: अर्चना अर्चि शर्मा की कलम से 🖋️

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गाजियाबाद :-
       "ना जाने कौन सा दिन, कौन-सी रात, कौन-सा पल और कौन-सी सांस आखिरी हो जाए" ..। इससे पहले मैं बांटना चाहूंगी अपने योग से जुड़े  उन सभी अनुभवों को जिसके कारण  मेरा अस्वस्थ जीवन आज तक स्वस्थ रूप से चल रहा है।किसी ने  कहा है कि- "जिन्दगी सिर्फ एक बार मिलती है।"  मेरा मानना है मौत है जो सिर्फ एक बार ही मिलती है, जिन्दगी तो रोज ही मिलती है। मेरा अनुभव भी यही कहता है।
 लगभग बीस वर्ष पहले मैं अपने अस्वस्थ शरीर और मन के साथ अखिल भारतीय योग संस्थान से जुड़ी थी ।इस संस्थान का ही नाम अब "अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान"हो गया है। एक घंटे की क्लास में आसन और प्राणायाम कराये जाते थे। ध्यान और शवासन के लिए समय कम होता था ।उस एक घन्टे के समय में जितना हो पाता आत्मसात करती रही। फिर दिल्ली से योग में डिप्लोमा किया ।परन्तु आज जो कुछ मेरे पास है वो मेरे अनुभव से प्राप्त हुआ है। बचपन से ही भगवान का स्नेह मुझसे कुछ ज्यादा ही रहा इसलिए कुछ ना कुछ ऐसा होता रहा कि अखिल भारतीय योग संस्थान की क्लासें छूट गई। फिर धीरे-धीरे जो भी सीखा था घर पर अकेले ही करना आरम्भ कर दिया। तब तक पता ही नहीं था योग निद्रा और मेडिटेशन क्या है ? और कैसे किया जाए, उनके  क्या लाभ हैं ? जीवन में इतने उतार-चढ़ाव थे कि मन अपनी तीव्र गति से भागता रहता था ।शरीर और मन कभी एक साथ चलने को तैयार ही नहीं होते थे ।सबकी अपनी-अपनी ढपली और अपना-अपना राग वाला हाल था। धीरे-धीरे योग निद्रा और मेडिटेशन के बारे में समझ आने पर खुद ही करना आरम्भ कर दिया और जब इनका महत्व और लाभ समझ में आया और इनका असर मेरे अस्वस्थ शरीर पर पडना आरम्भ हुआ तो इन सबसे  शरीर और मन एक साथ चलने को तैयार होने लगे। जीवन में  कुछ-कुछ स्थिरता आने लगी,परंतु जब भी स्थिति कुछ ठीक होने लगती भगवान का स्नेह उमडने लगता और प्रभु फिर से झोली भर-भर कर अपना स्नेह उडेलने लगते ।फिर जहां से चलना आरम्भ करती थी लगभग वहीं आ जाती ।परन्तु ना तो कभी मैं डगमगाई और ना ही कभी भी भगवान पर से मेरा विश्वास डगमगाया।अपने को ठीक करने के साथ-साथ मैंने औरों को भी योग निद्रा और मेडिटेशन के बारे में बताया भी और कराया भी। इतना ही नहीं डिप्रेशन, एन्जायटी और माइग्रेन के लिए योग निद्रा और मेडिटेशन की कुछ होम ट्यूशन, कुछ फ्री क्लास देने लगी। परन्तु भगवान का स्नेह कभी कम नहीं हुआ वो समय-समय पर अपने स्नेह से मेरी झोली भरते रहे और मैं हर बार जब भी हारने लगती तो वो ही फिर से दुगनी ताकत देकर मुझे खड़ा कर देते। 
 
फिर लाॅकडाउन का समय आ गया, बाहर जाना बन्द। जीवन जैसे थम सा गया था।कुछ दिन तो समझ ही नहीं आया क्या होगा। फिर एक रास्ता निकला....... सब कुछ आॅनलाइन । अप्रैल में आॅनलाइन योग क्लास आरम्भ कर दी ।सुबह 6 बजे क्लासें आरम्भ हो जाती। इस लाॅकडाउन के चलते बहुत कुछ नया सीखने को मिला। कुछ खट्टे,कुछ मीठे अनुभव भी हुए ।बहुत कुछ पाया और बहुत कुछ खोया भी। एक तरफ जहां आॅनलाइन योग क्लास के माध्यम से भिन्न-भिन्न शहरों में रह रहे लोगों से आॅनलाइन मुलाकात हुई। नये लोगों से परिचय हुआ ।जीवन ने जैसे फिर से रफ्तार पकडनी आरम्भ कर दी। वहीं दूसरी तरफ इस लाॅकडाउन के चलते अपने कई रिश्तों को खो दिया। कोरोना और लाॅकडाउन के कारण उनके अन्तिम दर्शन भी नहीं हो सके। आज दुनिया में जिनके कारण मेरा वजूद है और जो हमेशा से मेरे प्रेरणास्रोत रहे हैं, वो पिता भी छोड़कर चले गये ,और भी कुछ ना कुछ ऐसा होता रहा जो लगातार मन को प्रभावित करता रहा और लगातार मानसिक आघात और कुछ लापरवाही से फिर सब कुछ टूट कर बिखर गया। जब मन पर चोट पडती है तो शरीर भी पूरी तरह से प्रभावित होता है। स्थिति गंभीर होती गई सितम्बर में एक बार फिर से बिस्तर पर...... खड़े होने की तो क्या बैठने तक की स्थिति समाप्त हो गई  ।सब खत्म होने के कगार पर ही पहुंच गया। क्लासें बन्द करनी पड़ी ।सारा दिन बिस्तर पर पड़े-पड़े यहीं सोचते बीतने लगा कि अब क्या होगा ? मन एक बार फिर से हारने लगा।फिर एक दिन अपने को सम्भाला और  फिजियोथैरेपी और कुछ छुटपुट एक्सरसाइज के अलावा कई-कई बार योग निद्रा और मेडिटेशन करके फिर से अपने टूटे बिखरे अस्तित्व को समेटना आरम्भ किया। धीरे-धीरे अपने आप को समेटा और अपना कैमरा आॅफ कर बिस्तर पर से ही क्लास लेना आरम्भ कर दिया और अब लगभग सब ठीक सा होने लगा है।
          
आज के समय में योग का इतना प्रचार-प्रसार हो रहा है कि बच्चा-बच्चा योग के बारे में जानता है ।स्कूलों में भी योग अनिवार्य है। किसी से भी बात करो सबको योग के बारे में  सब कुछ पता है।फिर भी कुछ क्षेत्र अभी भी इससे अछूते रह रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें आज भी इस बारे में पता नहीं है। मेरा लक्ष्य है उन तक पहुंचना।इस कार्य में मैं बराबर कई वर्षो से प्रयासरत हूं।कभी कुछ सफल हो जाती हूँ तो कभी-कभी असफल। उसके बाद मेरा मनोबल और भी बढ़ जाता है, सब पीछे छोड़ कर मैं दुगनी ताकत के साथ फिर से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगती हूं, यह सोचकर कि इस बार जरूर सफल हो जाऊंगी। 
   
योग,मन,आत्मा और शरीर को एक साथ मिलाकर चलना सिखाता है और आसन, प्राणायाम,हास्यासन, ताली, मेडिटेशन और योगनिद्रा इन सबका समन्वय है। परन्तु योग निद्रा और मेडिटेशन क्या है ? इसके क्या और कैसे-कैसे लाभ हैं ? मेरा लक्ष्य है योग निद्रा और मेडिटेशन के फायदे उन तक पहुंचाना जिन्हें इसके बारे में पता ही नहीं है। 
  
सभी सम्मानित पत्रकारों की भी मैं हमेशा तहे-दिल से आभारी हूं और उनका शुक्रिया अदा करती हँ। आप सभी ने अपने समाचार पत्रों में  मुझे हमेशा से सम्मान जनक स्थान दिया है। मेरे योग से सम्बंधित समाचार हों या मेरी अपनी रचनाएं कभी भी छापने में विलंब नहीं किया। परन्तु मुझे इतना ही नहीं औरों के साथ आप सबका और भी सहयोग चाहिए। आपके आस-पास कोई भी ऐसा व्यक्ति जो यदि शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान है और किसी मजबूरीवश उसे कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा है तो मैं उसे योग ध्यान की निःशुल्क क्लास देकर उसकी मदद करने की कोशिश कर सकती हूँ। अपेक्षा करती हूँ कि आप इस कार्य में मुझे सहयोग देंगें। 
    
मैं सिर्फ एक वरिष्ठ पत्रकार की पत्नी ही नहीं हूँ, लगभग तीस वर्षों तक मैंने भी पत्रकारिता की है। मैं नहीं चाहती कि मेरे जाने के बाद शोक सभा का आयोजन या श्रद्धांजलि अर्पित की जाये। मुझे अपने जीते जी ही वो उदगार आपसे सहयोग के रूप में चाहिए। 
जाने के बाद किसको पता कि कौन श्रद्धांजलि दे रहा है या कौन शोक सभा का आयोजन कर रहा है। मै सारे क्षण जीवित रहते ही जीना चाहती हूँ।मैंने बहुत देर कर दी अपने अनुभवों को बांटने में। अब पता नहीं कितना जीवन बचा है इसलिए मैं अब देर नहीं करना चाहती ।जल्दी से जल्दी मेरे जो भी अनुभव हैं, परेशानियों से घिरे लोगों तक पहुंचाना चाहती हूँ और अपने बचे हुए जीवन को सार्थक करना चाहती हूं।इसलिए एक बार फिर से आपसे सहयोग कीअपेक्षा रखती हूं।

                     सिटी न्यूज़ हिंदी

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