डॉ मनीष कुमार, वरिष्ठ न्यूरोसर्जन, शकाई न्यूरो केयर सेंटर, द्वारिका, सेक्टर 9, दिल्ली।


◼️ 6-8 ग्राम से ज्यादा नमक खाना है हानिकारक, सफेद की जगह सेंधा या काला नमक के उपयोग को दें बढ़ावा: न्यूरोसर्जन

◼️एनजीओ 'धैर्य इंडिया' के 'व्हाट्सएप्प स्वास्थ्य परिचर्चा कार्यक्रम' के मुख्य अतिथि थे डॉ मनीष कुमार


कमलेश पांडेय 


गाजियाबाद/दिल्ली :-
      शकाई न्यूरो केयर सेंटर के प्रबंध निदेशक और सुप्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ मनीष कुमार ने बताया है कि नमक का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। इसलिए जब भी खाने की बात हो तो कितना कम नमक खाएं, या फिर इसकी संतुलित मात्रा कितना ग्राम होना चाहिए यह जानना सबके लिए जरूरी है? डॉ कुमार राष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था "धैर्य इंडिया" के 'व्हाट्सएप्प स्वास्थ्य परिचर्चा कार्यक्रम' में नमक और जनजीवन सम्बन्धी पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।

एनजीओ की ओर से कार्यक्रम संचालिका बैदेरी कुमारी से बातचीत करते हुए उन्होंने नमक के चिकिसकीय पहलू के साथ साथ इसके धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक व पारिवारिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला, जिससे लोगों को नमक के व्यापक महत्व व इससे जुड़ी सनातन मान्यताओं का पता चला। उन्होंने दो टूक शब्दों में बताया कि हमारी सभ्यता संस्कृति हमलोगों से यह भी उम्मीद करती है कि किसका नमक खाएं और किसका नहीं। और जिसका नमक खाएं, उसके प्रति ताउम्र वफादारी निभाएं, अन्यथा दुनिया में नमकहराम शब्द का निहितार्थ सबको पता है। 

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने यहां तक कहा कि किसी शोकाकुल परिवार में समस्त प्रथाओं के निर्वहन के बाद नमक मिलने की जो सभ्यतामूलक बात की जाती है, उसका अभिप्राय है कि निज बंधुओं को परस्पर जोड़े रखने में ही घर, परिवार, समाज और देश की भलाई है, जिनका गहरा नाता सनातन हिन्दू धर्म से है। विभिन्न परम्पराओं में भी इसकी मौजूदगी किसी न किसी रूप में है, जिससे नमक की महत्ता का पता चलता है। नमक के विभिन्न प्रकारों में सफेद नमक की अपेक्षा सेंधा व काला नमक को अधिक स्वास्थ्य बर्द्धक पाया जाता है।

उन्होंने आगे कहा कि चिकित्सा विज्ञान भी विभिन्न प्रकार के साल्ट (लवण, नमक) से रोगों का निवारण करता है। ऐसा इसलिए कि शरीर में नमक का संतुलन बहुत जरूरी है। कम नमक के सेवन से जहां कई बीमारियां हमें घेर सकती हैं, वहीं अधिक नमक के सेवन से भी कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं। इसलिए इसका संतुलित उपयोग व जानकारी सबके लिए जरूरी है।

डॉ मनीष कुमार के मुताबिक, भोजन के द्वारा प्राप्त होने वाले मुख्य अकार्बनिक सूक्ष्म न्यूट्रीएन्ट नमक कभी कभी अवांछित हो जाता है। मुख्य रूप से बढ़े हुए ब्लड प्रेशर, हार्ट फेलियर और किडनी के रोगियों में बिना नमक के खाने की सलाह दी जाती है। कुछ लोग एहतियात में कम नमक खाने की आदत रखते हैं। ख़ास कर किसी परिवार में यदि  ऐसा रोगी होता है तो घर के लोग कम नमक खाने की आदत डाल लेते हैं ताकि रोगी को दिक्कत न हो। कुछ परिवारों में आदतन कम नमक खाने का चलन होता है।

उन्होंने बताया कि खाने वाले नमक का रासायनिक नाम सोडियम क्लोराईड होता है। यह सभी जीवों में आवश्यक रूप से पाया जाता है, क्योंकि प्रकृति ने शरीर की प्रक्रियाओं- कोशिका के स्तर से लेकर हर शारीरिक संरचना मसलन खून, पसीना, आंसू, पाचन रस के बनावट आदि में सोडियम क्लोराईड को ही आधार बनाया है। खासकर न्यूरोन के काम के लिए जो विद्युत प्रक्रिया होती है उसमें सोडियम और क्लोराईड का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। 

यूं हीं नहीं किसी का नमक खाना महत्वपूर्ण माना जाता है भारतीय संस्कारों में! तो नमक खाना जरुरी है या कम नमक खाना जरुरी है? वैसे तो नमक हर भोज्य पदार्थ में शामिल है। खासकर अन्न में या किसी भी ड्राई फ्रूट में और समुद्री जीवों में नमक थोड़ा ज्यादा पाया जाता है। मांस- मछली जैसे भोज्य पदार्थ में भी यह ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। घर के बाहर रेस्टोरेंट में खाने को चटपटा बनाने के लिए उसमें थोड़ा ज्यादा ही नमक डाला जाता है। दूध, सब्जी और फल में कम नमक पाया जाता है, पर दूध के अन्य उत्पाद जैसे घी या अन्य प्रोसेस्ड भोज्य पदार्थ में नमक की मात्र ज्यादा होती है।

उन्होंने आगे बताया कि शरीर में पाए जाने वाले हर द्रव्य में सोडियम क्लोराईड की निश्चित मात्रा पायी जाती है। नमक मुख्य रूप से पेशाब, पसीना, पैखाना जैसे एक्सक्रिशन में शरीर से बाहर किया जाता है। इस तरह शरीर में बैलेंस बना रहता है। हमें शरीर में प्रत्येक दिन छह से आठ ग्राम नमक की जरुरत होती है। लेकिन ज्यादातर लोग इससे ज्यादा नमक ही खाते हैं। लिहाजा, डाईरिया, उल्टी, अत्यधिक पसीना बहना या नमक कम या ज्यादा खाने की परिस्थिति के अलावे ब्रेन से सम्बंधित कुछ ख़ास बीमारियों में, जिसमें नमक का नियंत्रण करने वाले हॉर्मोन के सेक्रेशन में गड़बड़ी हो जाती है। ऐसे में थकान से लेकर बेहोशी और मिर्गी के दौरे पड़ने की संभावना भी रहती है। इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि नमक कम खाना चाहिए, परन्तु उचित मात्रा में नमक खाना जरुरी है। 

'धैर्य इंडिया' के मुख्य कर्ताधर्ता ज्योति कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए इस आभासी परिचर्चा को एक सकारात्मक प्रयास बताते हुए कहा कि भारतीय मानव मूल्यों में नमक का गहरा महत्व है, लेकिन इसके चिकित्सकीय पहलुओं पर डॉ कुमार ने जो गूढ़ बातें बताई, उससे उपजी जनजागरूकता से लोग कम बीमार पड़ेंगे।
Previous Post Next Post