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गाजियाबाद :- सीएमओ कार्यालय में तैनात बाबुओं और पैरामेडिकल स्टाफ के ठाठ-बाट निराले हैं। दस से 15 साल से एक ही कार्यालय में डटे इन बाबुओं ने अब खुद काम करने के बजाय कंप्यूटर ऑपरेटर रख लिए हैं। इन कंप्यूटर ऑपरेटरों को डाटा फीडिंग के लिए रखा गया था लेकिन अब ये बाबुओं के सहायक बनकर रह गए हैं। प्राइवेट अस्पतालों का पंजीकरण हो या नवीनीकरण, फिर चाहे सरकारी कर्मचारियों के प्राइवेट अस्पताल में इलाज के बिलों के सत्यापन की फाइल हो, इनकी मर्जी पर ही ये फाइलें आगे बढ़ती हैं। जबकि नियमानुसार पांच साल में जिला और दस साल में मंडल से स्थानांतरण का नियम है। स्वास्थ्य विभाग में 350 लिपिक एवं पैरामेडिकल स्टाफ कार्यरत हैं। इनमें 70 फीसदी स्टाफ ऐसे हैं जिनकी जिले में तैनाती के पंद्रह वर्ष से अधिक हो चुके हैैं, जबकि पांच फीसदी बाबुओं एवं फार्मासिस्टों का ढाई दशक से अधिक का समय बीत चुका है।

कुष्ठ विभाग के कर्मचारी चला रहे बाबुओं का कंप्यूटर
कुष्ठ विभाग डासना में कार्यरत पैरामेडिकल सहायक प्रदीप को लिपिक संगीत शर्मा के साथ लगाया गया है, जबकि मुरादनगर में कार्यरत आरके पांडेय को सुधीर के साथ लगाया गया है। जबकि शासन की डिजिटल योजना के अनुसार सभी बाबुओं को कंप्यूटर की पूर्ण जानकारी होनी आवश्यक है। पैरामेडिकल स्टाफ को बाबुओं के साथ लगाए जाने से कुष्ठ का काम भी प्रभावित होता है। इस मामले में जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ. मुंशीलाल का कहना है कि उन्होंने जल्द ही कुष्ठ विभाग का प्रभार लिया है, ऐसे में जानकारी नहीं है कि बाबुओं के साथ कुष्ठ विभाग के कर्मचारी लगाए गए हैं।

पैरामेडिकल-चिकित्सा एवं स्वस्थ्य सेवाओं के महानिदेशक की तरफ से उपसचिव शिव गोपाल सिंह ने सीएमओ को भेजे पत्र में कहा है कि जिले में पांच वर्ष से अधिक समय से तैनात पैरामेडिकल स्टाफ एवं लिपिक वर्ग का विवरण तीस दिसंबर तक उपलब्ध कराए जाने के निर्देश जारी किए गए थे, इसके बावजूद अभी तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है।सीएमओ ने कहा-भेजा जाएगा विवरण

सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता का कहना है कि शासनादेश का पालन किया जाएगा। जल्द ही सूची शासन को भेज दी जाएगी। सीएमओ का कहना है कि अभी ज्यादातर स्टॉफ कोरोना टीकाकरण कराने की तैयारी में लगा है। सीएमओ का कहना है कि बाबुओं के साथ ऑपरेटर नहीं लगाए गए हैं, बल्कि कोरोना अभियान में डेटा फीडिंग में हैं।
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