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गाजियाबाद :- तमाम जांच एजेंसियों की आंखों में धूल झोंककर सरकार को 285 करोड़ रुपये का आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के नाम पर चूना लगाना वाला संजय जैन दिल्ली से पकड़ लिया गया। डायरेक्टर जनरल जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीएसटीआई) गाजियाबाद की टीम ने दिल्ली के मयूर विहार से गिरफ्तार कर बुधवार को मेरठ स्थित विशेष सीजेएम कोर्ट में पेश किया, जहां से न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। उधर, गिरफ्तारी के बाद गाजियाबाद, मेरठ, दिल्ली, चेन्नई और बंगलूरू व अन्य शहरों के सीमेंट कारोबारियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं, जिनके नाम पर फर्जी तरीके से खरीद-बिक्री के बिल काटे गए थे। जबकि सीमेंट की कहीं पर कोई सप्लाई नहीं हुई है। जीएसटी इंटेलीजेंस की टीम ने पूछताछ और जब्त दस्तावेजों के आधार पर जांच का दायरा बढ़ा दिया है।

दो दिसंबर 2020 को दिल्ली-एनसीआर इंटेलिजेंस विंग की तरफ से विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की गई। इसमें चार लोगों ने स्वीकार किया कि वह बिना गुड्स (उत्पादन) की खरीद-बिक्री के फर्जी तरीके से आईटीसी क्लेम करने में लिप्त हैं। इस छापेमारी में 8.11 करोड़ की टैक्स चोरी में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन इस छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेजों से पता चला कि फर्जी आईटीसी क्लेम के मामले में असल खिलाड़ी संजय जैन है, जो फर्जी बिलों के आधार पर करोड़ों रुपये की आईटीसी क्लेम ले चुका है। विस्तृत जांच की गई तो पता चला कि संजय जैन दिल्ली-एनसीआर में संचालित अपनी फर्मों के माध्यम से गाजियाबाद, मेरठ, उत्तराखंड, चेन्नई , बंगलूरू व अन्य राज्यों में सीमेंट की खरीद-बिक्री दिखाकर धड़ल्ले से बिल काट रहा है और अभी तक करीब एक हजार करोड़ रुपये का कारोबार दिखाकर 285 करोड़ रुपये का आईटीसी क्लेम कर चुका है। जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आने के बाद आयकर विभाग और अन्य जांच एजेंसियां भी उसकी गिरफ्तारी में लग गईं।

56 फर्जी फर्मों के दस्तावेज मिले
संजय जैन की गिरफ्तारी के साथ ही इंटेलिजेंस टीम को मौके से 56 से अधिक फर्मों के दस्तावेज भी मिले हैं, जो फर्जी तरीके से संचालित थीं। इंटेलिजेंस टीम ने बताया है कि इनमें अधिकांश कारोबारी गाजियाबाद के रहने वाले थे। इसके अलावा मेरठ, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम के भी कारोबारी हैं। अब दस्तावेज के आधार पर इन सभी कारोबारियों की भी जांच की जा रही है। दस्तावेजों से पता चला कि बिना सीमेंट की सप्लाई के फर्जी बिल काट कर कारोबार दिखाया जा रहा था। लेटर पैड, रबड़ स्टैंप और फर्म रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज मिलने के बाद कुछ अन्य कारोबारियों की भी गिरफ्तारी जल्द संभव है।

आठ फर्म संजय जैन के परिजनों के नाम पर
डीजीजीएसटीआई टीम ने बताया है कि पूछताछ में संजय जैन ने स्वीकार किया है कि उसके और उसके परिजनों के नाम पर आठ फर्जी फर्म संचालित थीं, जिनका सीमेंट कारोबार से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन इन फर्मों के नाम पर नियमित रूप से सीमेंट की खरीद-बिक्री दिखाई जा रही थी। विभाग का कहना है कि शुरूआती जांच में 285 करोड़ की टैक्स चोरी पकड़ी गई है, लेकिन यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

दो माह तक भागता रहा एजेंसियों से
दिसंबर 2020 की कार्रवाई के बाद रडार पर आया संजय जैन दो माह तक तमाम जगहों पर भागता रहा। गाजियाबाद, दिल्ली-एनसीआर व अन्य जिलों के जैन मंदिरों व फार्म हाउस में जाकर रुका। 13 फरवरी को जीएसटी इंटेलिजेंस टीम की तरफ से कार्रवाई की गई, जिसमें टीम को पता चला कि 15 फरवरी को संजय जैन मयूर विहार आने वाला है। एजेंसी के अधिकारियों ने फिर पूरा जाल बिछाया और उसे हिरासत में ले लिया। इसके बाद उससे पूछताछ की गई और उसके बाद 16 फरवरी को उस आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार कर लिया गया। इस कार्रवाई में जीएसटी इंटेलिजेंस की तरफ से एडीजी प्रद्युम्न त्रिपाठी, एडिशनल डायरेक्टर विकास, ज्वाइंट डायरेक्टर नरेंद्र यादव व टी मंजूनाथ, सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर संजय आनंद, ऐश्वर्या अत्तरी, मुनिंदर सिंह, भीम सिंह व सुमित आदि टीम में शामिल रहे।
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