सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻


गाजियाबाद :- नगर निगम की लापरवाही से शहर में कॉमर्शियल वाहनों की पार्किंग का ठेका करीब डेढ़ दशक से एक ही फर्म चला रही है। नगर निगम की अपनी पार्किंग पॉलिसी न होने से हाईकोर्ट ने इस फर्म को तब तक स्टे दे दिया था, जब तक निगम अपनी पॉलिसी तैयार न कर ले। नगर निगम ने करीब आठ साल पहले पार्किंग पॉलिसी तैयार कर सदन से पास भी करा ली, लेकिन अभी तक हाईकोर्ट में इसे दाखिल कर स्टे खारिज कराने की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।

नगर निगम ने करीब डेढ़ दशक पहले शहर में कॉमर्शियल वाहनों की पार्किंग का ठेका बलराम कसाना नाम के व्यक्ति को निर्धारित अवधि के लिए दिया था। ठेका खत्म होने पर नगर निगम ने दोबारा नए सिरे से ठेका देने का प्रयास किया तो पहले से पार्किंग ठेका लेने वाली फर्म ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। नगर निगम की अपनी कोई वाहन पार्किंग पॉलिसी न होने को आधार बनाकर कोर्ट ने इस फर्म को स्टे दे दिया। नगर निगम को इस मामले में जल्द वाहन पार्किंग पॉलिसी बनाकर कोर्ट में जमा करनी थी। इस पॉलिसी को जमा करने के बाद स्टे खारिज की प्रक्रिया पूरी हो जाती और नगर निगम नए सिरे से ठेका छोड़ सकता था। नगर निगम के अधिकारियों ने करीब आठ साल पहले पॉलिसी तैयार करा ली थी, लेकिन कोर्ट में जमा नहीं की गई।
नगर निगम को हर साल हो रहा करोड़ों का घाटा

नगर निगम पांचों जोन में कॉमर्शियल वाहनों का ठेका नए सिरे से छोड़ता तो प्रत्येक जोन से करीब एक करोड़ रुपये और पांचों जोन से करीब पांच करोड़ रुपये सालाना कमाई हो सकती थी। 10 साल में नगर निगम को अनुमानित करीब 50 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है।
बसपा पार्षद आनंद चौधरी ने कहा कि एक ही व्यक्ति 15 साल से पार्किंग का ठेका चला रहा है। नगर निगम के कुछ कर्मचारी इस घपले में शामिल हैं। 15 फरवरी को हुई बोर्ड बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था। जल्द पार्किंग पॉलिसी को लागू कर शहर में नए सिरे से ठेका छोड़े जाने की मांग की गई है।

नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि सभी पार्किंग ठेकों की समीक्षा की जाएगी। कोर्ट के आदेशों के अनुरूप कार्रवाई कर नए सिरे से ठेके छोड़े जाएंगे। मामले में बोर्ड में भी प्रस्ताव पास किया गया है।
Previous Post Next Post