◼️सुपरवाइजर के कंधे पर रखकर चलाई जाती है बंदूक 


सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻


गाजियाबाद :- भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगा रहे जीडीए के अवर अभियंताओं की मनमानी के खिलाफ अब भवन निर्माता मुखर होने लगे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है जीडीए के नए वीसी करुणा करुणेश के सख्त तेवर, जिन्होंने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही करनी शुरू कर दी है। जीडीए उपाध्यक्ष कई बाबुओं के कार्यक्षेत्र बदल चुके हैं तो कुछ पर कार्यवाही भी की है। यही वजह है कि अब निर्माणकर्ताओं में भ्रष्टाचारी बाबुओं की शिकायत करने की हिम्मत आई है। ऐसे ही जीडीए के प्रवर्तन जोन 4 के जेई संजय कुमार के भ्रष्टाचार से लोगों की नाक में दम है। सूत्र बताते हैं कि इस गोरखधंधे में एक मीडिया कर्मी भी बाबू पर दबाव बनाकर भवन निर्माताओं से अवैध वसूली करता है। सूत्रों की माने तो जोन चार में कहीं भी निर्माण शुरू होता है वह चाहे बिल्डर हो या भवन। मीडिया कर्मी या तो मौके पर जाकर हड़काता है या फोन पर भवन स्वामी से निर्माण को अबैध बताकर ख्याल रखने की बात करता है बाद में जीडीए अधिकारी से निर्माण की शिकायत करता है। सूत्र बताते हैं कि  जीडीए अधिकारी निर्माणकर्ता से मैनेज करने को कहते हैं। फिर जेई साहब अपने लिए सुविधा शुल्क की मांग करता है। चढ़ावा न चढ़ाने पर निर्माण सील करने की धमकी देता है भवन का निर्माण न रुके इसलिए मजबूरन भवन स्वामी को जेई की बात माननी पड़ती है। सूत्र बताते हैं कि प्रताप बिहार सेक्टर 12 के जी ब्लॉक में बन रहे या बन चुके हैं।सूत्रों की माने तो मकान मालिक से जेई संजय कुमार सुविधा शुल्क वसूल चुके और कईयों से लाखों की डिमांड कर रहे हैं। मजे की बात यह है कि अधिकतर प्रवर्तन जोन में सुपरवाइजर के कंधे पर बंदूक रखकर अपनी जेब भरते हैं और बलि का बकरा सुपरवाइजर को बनाया जाता है। यही हाल है। जबकि हकीकत में वह बाबू की दबंगई के शिकार हो जाते हैं। जी ब्लॉक प्रताप विहार के भवन स्वामियों ने जीडीए वीसी से जोन 4 के जेई की मनमानी की शिकायत करने का मन बनाया है। अवर अभियंताओं की रिश्वतखोरी की वजह से ही महानगर में अवैध निर्माणों को बढ़ावा मिलता है। रिश्वतखोरी की नींव पर चार चार मंजिल इमारत खड़ी कर दी जाती है और जब हकीकत से पर्दा उठता है तो वहीं रिश्वतखोर बाबू उसी बिल्डिंग को सील करने और तोड़ने की सिफारिश करते हैं।

 सूत्र बताते हैं कि प्रति छत के हिसाब से जीडीए जेई पैसा वसूलते हैं। वीसी यदि वास्तव में जीडीए को भ्रष्टाचार मुक्त करना चाहते हैं तो उन्हें स्वयं मैदान में उतरना होगा। बता दें कि प्रताप बिहार के राहुल विहार सेकेंड में एक भूखंड पर अवैध निर्माण को जीडीए ने तीन चार बार ध्वस्त किया। बाद में लाखों की कीमत के उसी भूखंड पर जीडीए अधिकारियों ने सांठ गांठ कर कब्जा करा दिया। महानगर के कई क्षेत्रों में यही गोरख धंधा चल रहा है। भ्रष्ट्राचार की शिकायत पर एक अदना से सुपरवाइजर को बलि का बकरा बना दिया जाता है और लाखों की रिश्वत खाने वाले बाबू का बाल बांका नहीं होता। जीडीए वीसी यदि निष्पक्षता से जांच करें तो हर जोन के जेई हमाम में नंगे नहाए मिलेंगे।
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