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गाजियाबाद :- "लग रहा है द्वार पर ऋतुराज आया है/सरस्वती नमः तुभ्यम,/वरदे कामरूपिणी।/विश्व रूपे विशालाक्षी,/विद्या देही सरस्वती।" संगीत शिक्षिका ज्योति शर्मा ने कहा कि विद्या और ज्ञान की देवी, मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस वसंत पंचमी के दिन हुआ, ऐसी मान्यता है। उनकी कृपा के बिना संगीत, कला और साहित्य का ज्ञान होना संभव नहीं। इसीलिए वसंत पंचमी पर्व को सम्पूर्ण भारत में सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने अपने तरीके से मां वाणी की आराधना करते हैं। वसंत ऋतु में क्योंकि प्रकृति पीला श्रृंगार करती है, इसीलिए माता सरस्वती को भी पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं, पीले कुमकुम और फूलों से सजाया जाता है, पीले पकवानों का भोग लगाया जाता है। इतना ही नहीं लोग से स्वयं भी पीले वस्त्र पहनते हैं और ज्ञान, विद्या दायिनी मां शारदा की आराधना करते हैं। वी एन भातखंडे संगीत महाविद्यालय गाजियाबाद के छात्र- छात्राओं ने वसंत पंचमी पर्व के अवसर पर 50 मिनट का एक वीडियो तैयार किया है, जिसमें  लगभग 25 छात्र छात्राओं ने प्रतिभागिता की है।  महाविद्यालय के अध्यक्ष पंडित  हरिदत्त शर्मा  के निर्देशन में बना यह वीडियो सभी छात्र- छात्राओं द्वारा मां सरस्वती को एक संगीतमय श्रद्धांजलि है।
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