◼️50 से अधिक अस्थियां मोक्षघाट पर रखी हैं, परिजन नहीं लेने आ रहे, हिंडन श्मशान घाट पर प्रबंधकों ने मृतक के नाम की चिट के साथ रखे हैं फूल


सिटी न्यूज़ हिंदी.....✍🏻


गाज़ियाबाद :- हिंडन मोक्षस्थली पर अस्थि रूपी फूल मोक्ष के लिए इंतजार कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण या अन्य वजह से काल के गाल में समा गए लोगों की अस्थियां अभी गंगा में प्रवाहित होने का इंतजार कर रही हैं। कोरोना संक्रमण के कारण बहुत से परिजन अस्थि रूपी फूल को लेने के लिए नहीं रहे हैं। श्मशान घाट पर प्रबंधकों ने मृतक के नाम की चिट के साथ इन अस्थियों को रखा है।
कोरोना संक्रमण काल में कई लोगों को अंतिम समय मे अपने प्रियजनों के दर्शन भी नहीं हुए। अस्पताल से सीधे हिंडन मोक्षस्थली पर कोविड नियमों का पालन करते हुए शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। ऐसे में कई मृतकों की अस्थियां भी मोक्ष के इंतजार में हैं। करीब 50 अस्थि कलश हिंडन श्मशान घाट पर रखे हैं, जिनको उनके परिवार के लोगों ने बाद में लेने आने की बात कही है। 

बनाया गया है अस्थिघर 
हिंडन मोक्षस्थली पर ऐसे अस्थि कलश रखने के लिए अस्थिघर बनाया गया है। प्रबंधकों ने सभी अस्थि पर मृतक का नाम और पता लिख कर रखा है। परिजनों के आने पर ये अस्थि कलश उनके सुपुर्द किया जाता है। 

जो नहीं आएंगे उनके फूल हरिद्वार में होंगे प्रवाहित 
हिंडन मोक्षस्थली पर पिछले साल कई परिवार मृतकों के अस्थि कलश लेने नहीं आए। इसके बाद कुछ सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से सभी अस्थि कलश हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित किए गए। इंदिरापुरम गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने इसमें सहयोग किया था। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर इस बार भी अस्थि कलश रह जाते हैं तो विधिविधान के साथ हरिद्वार में फूलों को प्रवाहित कराया जाएगा।

10 से 15 दिन में आ रहे हैं लोग 
मोक्षस्थली से मृतकों के अस्थि कलश लेने के लिए कई लोग 10 से 15 दिन में आ रहे हैं। ऐसे में मृतकों के नाम की चिट देखकर उनको कलश दे दिया जाता है। बताया जा रहा है कि संक्रमण के डर से लोग देरी से अस्थि कलश लेने आ रहे हैं। 

नगर निगम ने संभाली है कमान
मोक्षस्थली पर लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए नगर निगम ने कमान संभाली है। अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार प्रतिदिन मोक्षस्थली पर व्यवस्था देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है। अस्थि कलश के लिए लोगों को टोकन नंबर दिया जा रहा है, उसके मुताबिक लोग समय पर अस्थि लेकर गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं।
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