रिपोर्ट :- गजेंद्र रावत


नई दिल्ली :- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक बिल्डर द्वारा भूजल की अनधिकृत निकासी और अवैध निर्माण के मुद्दे पर गौर करने के लिए 7 सदस्यीय समिति का गठन किया है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि अवैध निर्माणों के साथ-साथ भूजल की निकासी के मुद्दे पर अधिकारियों का रुख टालमटोल करने वाला है और इस बात का कोई विशिष्ट जवाब नहीं है कि 16 मंजिलों की मंजूरी के खिलाफ 26 मंजिलों का निर्माण कैसे किया गया।

पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि मामला लंबे समय से लंबित है और अधिकारियों का जवाब अस्पष्ट है, इसलिए हम सचिव, शहरी विकास, सीपीसीबी, सीजीडब्ल्यूए, राज्य पीसीबी, गाजियाबाद नगर निगम, जीडीए और जिलाधिकारी, गाजियाबाद वाली 7 सदस्यीय समिति को निर्देशित करते हैं कि निर्माण और भूजल निकासी की वैधता के मुद्दे को देखने और आगे की सुधारात्मक कार्रवाई का निर्णय लेने के लिए एक संयुक्त बैठक करे। पीठ ने कहा, ‘‘राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समन्वय एवं अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगा। इस तरह के निर्णय से पीड़ित कोई भी पक्ष कानून के अनुसार उसे चुनौती देने के लिए स्वतंत्र होगा। इस आदेश की प्रति प्राप्त होने के 3 महीने के भीतर मामले का निस्तारण किया जा सकता है।''

अधिकरण गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) की अनुमति के बिना एडी बेस्ट कंसोर्टियम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अवैध निर्माण और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की अनुमति के बिना भूजल निकासी के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस संबंध में 2015 में पक्षों को नोटिस जारी किए गए थे जिन्होंने अपने जवाब दाखिल किये और बाद में बिल्डर ने पानी की अवैध निकासी करना स्वीकार किया, लेकिन कहा कि यह निर्माण स्थल पर श्रमिकों के इस्तेमाल के लिए था न कि निर्माण के लिए।
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