◼️योगी सरकार के 'कारपोरेट' लीडर भी जनता के भरोसे पर नहीं उतरे खरे
◼️ऐसे में मिशन 2022 में सरकार भी फंस सकती है बीच मझधार में
कमलेश पांडेय/स्वतंत्र पत्रकार
गाजियाबाद :- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को जब गाजियाबाद आए तो उनके साथ जगह जगह मंच पर स्थानीय सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री मंत्री जनरल वी के सिंह भी नजर आए। यह बात विपक्ष से ज्यादा उनकी पार्टी के कतिपय जमीनी नेताओं को ही अखड़ गई।
एक ने तो नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर दबी जुबान में बताया कि महामारी की दूसरी लहर के पीक आवर में जब लोगों को अपने क्षेत्रीय सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री से उम्मीद थी, तब तो वह कहीं भी जनता के बीच, जनता के लिए दिखाई नहीं पड़े, लेकिन आज मुख्यमंत्री के साथ चेहरा चमकाने आ गए। उन्होंने यह भी कटाक्ष किया कि उनके घरेलू ऑफिस के कुछ लोगों के पॉजिटिव होने से वो इतना डर गए कि अपनी जनता के दुःख-दर्द से ही मुंह फेर लिया। यह ठीक बात नहीं है। इससे मिशन 2022 प्रभावित होगा।
एक अन्य नेता जी ने तुलनात्मक रूप से बताया कि एक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, जो कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद निगेटिव होते ही जनपद-जनपद दौड़ने लगे। गांव-गली घूमकर सरजमीनी सच्चाई जानने लगे। लेकिन गाजियाबाद के 'पैराशूट लीडर' अप्रैल-मई में गाजियाबाद से तबतक गायब दिखे, जबतक कि मुख्यमंत्री यहां पहुंच नहीं गए।
खैर, कहने को तो सांसद के करीबी कह सकते हैं कि उन्होंने सोशल मीडिया और आधुनिक संचार के साधनों से गाजियाबाद के लोगों के लिए महामारी काल में भी बहुत कुछ किये, जो सही भी है। लेकिन उन्हें अब यह कौन समझाए कि जनता के बीच दुःख-दर्द में उनके जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी उनकी तकलीफ को कम कर देती है। यही सोचकर तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद ही जगह-जगह जा रहे हैं, जबकि उन्हें अभी भी आराम की जरूरत है। यदि यही बात थल सेना के पूर्व अध्यक्ष भी सोचे होते तो गाजियाबाद में मिशन 2022 के दावे ज्यादा मजबूत होते।
और सिर्फ गाजियाबाद के सांसद ही क्यों, गाजियाबाद के नगर विधायक और स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग भी मुख्यमंत्री के गाजियाबाद आगमन वाले सप्ताह में ही सक्रिय दिखे। और उससे पहले गूलर के फूल की तरफ गायब रहे। फोन तक नहीं उठाने के आरोप लगे। समझा जाता है कि कोरोना की पहली लहर में खुद पोजिटिव होने के चलते उन्होंने आमलोगों से दूरी बनाई हो। लेकिन उन्हें अब यह कौन समझाए कि उनके स्वास्थ्य राज्यमंत्री होने से क्षेत्रीय लोगों को उनसे ज्यादा उम्मीद रही, लेकिन उन्होंने नाउम्मीद कर दिया। ऐसे में सीएम का मिशन 2022 गाजियाबाद में सिर्फ उन्हें के भरोसे रहेगा। किसी पैराशूट लीडर या कारपोरेट लीडर पर उन्होंने ज्यादा ऐतबार किया तो, उन्हें लेने के देने पड़ सकते हैं।
वहीं, पार्टी के ही साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, मुरादनगर विधायक अजीतपाल त्यागी और लोनी विधायक नन्द किशोर गुर्जर जिस तरह से अपने क्षेत्र में डटे रहे, उसी से जनपद में योगी सरकार की लाज बची और मिशन 2022 को पूरा करने में इनकी बड़ी भूमिका रहेगी। गाजियाबाद की चर्चा हो और पूर्व सांसद राजनाथ सिंह की चर्चा नहीं हो तो भाजपा अधूरी लगती है। हालांकि, गाजियाबाद के पूर्व सांसद और मौजूदा लखनऊ सांसद व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की इस बात के लिए तारीफ हो रही है कि उन्होंने लखनऊ से मुंह नहीं फेरा। लखनऊ में डीआरडीओ के सहयोग से जिस तरह से एक बड़ा अस्पताल ही बनवा दिया, कुछ वैसा भी गाजियाबाद में करवा देते तो लोगों को और अच्छा लगता।