रिपोर्ट :- अजय रावत


गाज़ियाबाद :- कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने व्यापारी वर्ग की आर्थिकरूप से कमर तोड़ दी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल (रजिस्टर्ड) के गाजियाबाद महानगर के अध्यक्ष उदित मोहन गर्ग ने बताया कि इस समय हर वर्ग का व्यापारी लॉकडाउन के चलते शासन- प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अपने प्रतिष्ठान बंद करके घर पर है। किंतु अब लॉकडाउन की अवधि को लगातार बढ़ाये जाने से व्यापारी वर्ग आर्थिक रूप से परेशान हो चुका है। एक ओर कर्मचारियों की तनख्वाह और जगह का किराया जबकि दूसरी ओर बिजली का बिल, नगर निगम का शुल्क और GST रिटर्न दाखिल करने की चिंता और इसके साथ साथ महामारी के कारण व्यापार में गिरावट ने व्यापारी वर्ग को परेशान कर रखा है। 

इसके अलावा अपने घर का खर्चा और बच्चों की स्कूल फीस जस की तस है। महामारी के कारण लगातार डेढ़ साल से अलग अलग समय पर लागू किये गए लॉकडाउन ने व्यापार जगत के लिए एक अनिश्चित माहौल पैदा कर दिया है। इसी कारण अब व्यापारी वर्ग का सब्र जवाब देने लगा है क्योंकि व्यापार बन्द होते हुए भी किसी भी सरकारी विभाग से किसी भी शुल्क को जमा कराने के लिए किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी गयी बल्कि पेनल्टी लगाई जाती रही है। इसी के परिणामस्वरूप कपड़ा व्यापारी एसोसिएशन ने प्रशासन द्वारा कपड़ा व्यापारियों पर किये गए चालान पर कड़ा रोष जताया है और प्रशासन के इस कदम की तीखी आलोचना की है। जगह-जगह व्यापारी और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच लॉकडाउन के चलते तीखी नोकझोंक भी हो जाती है। 

भारत सरकार द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसमें  राज्य सरकार को अगले 1 महीने तक लॉकडाउन जारी रखने की सलाह दी गयी है। यदि ऐसा होता है तो पहले से ही कठिन आर्थिक समस्या से गुज़र रहा व्यापारी बुरी तरह प्रभावित होगा। व्यापार मंडल के महानगर अध्यक्ष उदित मोहन गर्ग ने व्यापारी वर्ग की ओर से सरकार से प्रार्थना करते हुए कहा कि इस कठिन परिस्थिति में अब व्यापारी वर्ग को सरकार से एक राहत पैकेज की दरकार है। ऐसा राहत पैकेज जो महामारी के कारण उत्पन्न दुष्प्रभावों और लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों से जूझते व्यापारी वर्ग को सहारा दे सके और जिसका सहारा पाकर छोटे-बड़े सभी व्यापारी अपने व्यापार और घरबार को कठिन आर्थिक परिस्थितियों से उबार सकें।
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