अजय शर्मा - टीवी वरिष्ठ पत्रकार


आज देश में हालात कोरोनावायरस की वजह से बेकाबू है इस वायरस में देश के हेल्थ सिस्टम और लोगों के स्वास्थ्य को लेकर एक नए सिरे से बहस को जन्म दे दिया है हम यह तो जानते थे कि अपने देश का हेल्थ सिस्टम कमजोर है हमारे यहां इतनी सुविधाएं और संसाधन नहीं है क्योंकि हमारे देश की सरकारों ने कभी भी स्वास्थ्य के क्षेत्र पर गंभीरता के साथ फोकस नहीं किया लेकिन लोगों के अंदर अपने स्वास्थ्य को लेकर सजगता उतनी नहीं देखने को मिली जितनी की समझी जा रही थी कोरोनावायरस में लोगों की कमजोर सेहत के बारे में बताया किस तरह से लोग सिर्फ जी रहे थे।

आने वाले समय में अब लोगों को अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा गंभीर होने की आवश्यकता है उन्हें अपने आप को इसके लिए तैयार करना होगा कि वह कैसे वायरस जनित बीमारियों का सामना करेंगे इसके साथ साथ देश की सरकारों को भी वायरस जनित बीमारियों के लिए वैक्सीन और दवाइयों की नई नई खोज करनी पड़ेगी अस्पतालों को बहुत ही बड़े स्तर पर एक शक्तिशाली तंत्र के रूप में विकसित करना होगा अन्यथा आने वाले समय में ऐसे वायरस की वजह से चारों तरफ लाशें ही लाशें दिखाई देंगी. 
अपने देश में चिकित्सा क्षेत्र में जो विकास होना चाहिए था और जितनी गंभीरता के साथ काम होना चाहिए था वह नहीं हुआ उसका कारण सिर्फ और सिर्फ रूढ़िवादिता दकियानूसी सोच और व्यक्तिगत स्वार्थ परख राजनीति रही है जिसने लोगों की चिंता की वजह सिर्फ और सिर्फ अपनी चिंता की है कि किसी भी तरह से सत्ता में बने रहे. जो लोग सत्ता में पहुंच गए या उसका हिस्सा बन गए उनके पीछे पीछे उनके चाटुकार जो छोटे-मोटे फायदों के लिए उनसे जुड़ गए।

इन लोगों ने देश को आज किस तरह की स्थिति में डाल दिया है यह किसी से छुपा नहीं है मैं समझता हूं यह वक्त है परिवर्तन का बदलाव का जिससे कि एक नए भारत का उदय हो जिसमें लोग इन सब बातों से ऊपर उठकर समाज हित में और मनुष्य के हित में काम करें हम अपने लोगों के जीवन को बचाने में सक्षम हो ना कि सिर्फ उन्हें वोट बैंक समझा जाए। मुझे लगता है चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति की आवश्यकता है और यह अनिवार्य है अन्यथा वह दिन दूर नहीं है जब इससे भी बदतर स्थिति हो सकती है।

इसके लिए हमें जापान जैसे देश से सीखना होगा और समझना होगा कैसे एक अनुशासित जीवन जिया जाता है. 
जो लोग यह आशंका जता रहे हैं कोरोनावायरस चीन का जैविक हथियार हो सकता है ऐसी स्थिति में तो यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि हमें इसको लेकर युद्धस्तर पर तैयारी करनी होगी अन्यथा चीन जैसा देश हमें एक रूढ़िवादी देश के रूप में लेते हुए जैविक हथियार का इस्तेमाल करेगा और हमारे देश का चिकित्सा तंत्र भरभरा कर नीचे गिर जाएगा।

मुझे हिरोशिमा नागासाकी याद आ रहा है जब दूसरे विश्व युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया था इसलिए कहीं ऐसा ना हो तीसरे विश्व युद्ध में जैविक हथियारों का इस्तेमाल हो और स्थिति भयानक हो जाए. 
यदि यह भी मान लिया जाए कि तीसरे विश्व युद्ध नहीं होगा जैविक हथियारों का इस्तेमाल नहीं होगा लेकिन कहीं जैविक हथियार आतंकवादी इस्तेमाल करना शुरू कर दें तो जो हमने आज तक फिल्मों में देखा है कहीं वह वास्तविकता में घटित ना होने लग जाए इसलिए समय रहते समय अनुशासित होना होगा जागरूक होना होगा और चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति का बिगुल बजाना होगा।
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