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गाजियाबाद :- कोराना की दूसरी लहर में जीवन रक्षक दवाओं और उपकरण की कालाबाजारी करने वालों के आगे पुलिस की कार्रवाई बौनी साबित हुई है। महामारी के बुरे दौर में जब लोग लोग अपनों को बचाने के लिए अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन और दवाईयों के लिए छटपटा रहे थे। कुछ लोगों ने मजबूरी का फायदा उठाकर जीवन रक्षक दवाओं और उपकरणों की कालाबाजारी की। सरकार ने इन पर रासुका लगाने का आदेश दिया। गाजियाबाद पुलिस ने 41 लोग गिरफ्तार किए, लेकिन इन पर रासुका की कार्रवाई तो दूर आरोपी 9 दिनों में बाहर आ गए।

दो माह में 19 केस दर्ज कर 41 आरोपी किए गिरफ्तार
तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों को जान बचाने के लिए वेंटिलेटर युक्त बेड, ऑक्सीजन, जीवनरक्षक दवाएं व उपकरण नहीं मिल पा रहे थे। इसी मजबूरी का फायदा उठाकर कालाबाजारी से जुड़े लोग सक्रिय हो गए। शासन के निर्देश मिलने पर पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए अप्रैल व मई माह में 19 केस दर्ज कर कालाबाजारी करने वाले 41 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। पुलिस ने इनसे ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सी मीटर, ऑक्सी पल्स मीटर, रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्टेमरा इंजेक्शन आदि बरामद किए।

सबसे बड़े आरोपी भी 9 दिन में आ गए बाहर
कालाबाजारी के सबसे बड़े आरोपियों में देश का नामी न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अल्तमस हुसैन और उसके दो साथी भी शामिल थे। नगर कोतवाली पुलिस ने 27 अप्रैल को इन्हें गिरफ्तार कर इनसे 70 रेमडेसिविर व 2 ऑक्टेमरा इंजेक्शन, 36.10 लाख रुपये, एक स्कोडा कार व दो बाइक बरामद की थी। 28 अप्रैल को तीनों आरोपी जेल गए और 9 दिन बाद ही 8 मई को जेल से छूट गए।

अधिकांश ने जेल में बिताई एक रात, कुछ बाहर से ही छूटे
कालाबाजारी में जेल भेजे गए डॉ. अल्तमस समेत तीन आरोपी सर्वाधिक 9 दिन जेल में रहे। इसके अलावा कुछ आरोपियों ने सिर्फ 4 से 6 दिन जेल की हवा खाई। हैरत की बात यह है कि अधिकांश आरोपी एक रात ही जेल में रहे और अगले दिन बाहर आ गए। जबकि कुछ आरोपी ऐसे भी हैं, जिनकी जमानत बाहर से बाहर ही हो गई। अमर उजाला ने नगर कोतवाली, लिंक रोड व कविनगर थाने में दर्ज 11 मामलों के 23 आरोपियों की पड़ताल की तो उनमें 7 आरोपी एक रात ही जेल में रहे। 4 आरोपी 4 दिन, 1 आरोपी 6 दिन और 3 आरोपी 9 दिन जेल में रहे। 8 आरोपियों की बाहर से बाहर जमानत हो गई।

15 अप्रैल से 10 मई तक रहा पीक टाइम
अप्रैल माह की शुरूआत में कोरोना की दूसरी लहर ने असर दिखाना शुरू कर दिया था। इसके बाद कोरोना ने धीरे-धीरे तबाही तबाही मचानी शुरू कर दी थी। इस साल 15 अप्रैल से 10 मई के बीच के समय को कोरोना की दूसरी लहर का पीक टाइम माना गया। पिछले साल एक दिन में सर्वाधिक 172 केस की तुलना में इस साल 30 अप्रैल को एक दिन में संक्रमितों का आंकड़ा 1740 तक पहुंच गया। एक व दो मई को 20-20 लोगों की मौत दर्ज की गई।

सात से कम सजा की धाराओं के चलते जेल से मिली अंतरिम जमानत
जेल में क्षमता से तीन गुना तक अधिक कैदी बंद हैं। जेलों में कोरोना संक्रमण रोकने केलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शासन ने सात साल से कम सजा वाले मामलों में बंद बंदियों को दो माह की पैरोल व अंतरिम जमानत पर छोड़ने के निर्देश दिए थे। डासना जिला कारागार से अब तक एक हजार से अधिक बंदी अंतरिम जमानत व पैरोल पर छोड़े जा चुके हैं। कालाबाजारी में गिरफ्तार आरोपियों पर लगी धाराओं में भी सात साल से कम की सजा थी, लिहाजा इनको भी जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया।

कालाबाजारी के आरोपियों से बरामद हुआ यह माल
- 70 रेमडेसिविर इंजेक्शन
- 02 ऑक्टेमरा इंजेक्शन
- 767 ऑक्सीजन सिलेंडर
- 83 ऑक्सी फ्लो मीटर
- 08 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
- 10 ऑक्सी पल्स मीटर

कोरोना काल में यह हुई कार्रवाई
- 198 मामले आपदा प्रबंधन अधिनियम के दर्ज कर 277 आरोपी गिरफ्तार किए।
- 19 मामले कालाबाजारी के दर्ज कर 41 आरोपी गिरफ्तार किए गए।
- 7249 मामले धारा 188 के तहत दर्ज कर 12190 आरोपी गिरफ्तार किए।
- 7249 मुकदमे कोरोना कर्फ्यू के उल्लंघन के दर्ज हुए
- 12393 लोगों को मुकदमों में आरोपी बनाया गया
- 4.17 लाख चालान मोटर अधिनियम के हुए
- 3.66 करोड़ रुपये जुर्माना मोटर अधिनियम के तहत वसूला
- 2.16 लाख चालान बिना मास्क के हुए
- 2.57 करोड़ रुपये बिना मास्क वालों से जुर्माना वसूला गया

अपराध के हिसाब से आरोपियों पर महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम व धोखाधड़ी की धाराएं लगाई गई थीं। इसके बाद जमानत की प्रक्रिया कोर्ट में होती है। शासन के निर्देश पर बंदी जेल से रिहा हुए होंगे। दो माह की अंतरिम जमानत के बाद उन्हें कोर्ट में सरेंडर होना है। इसके बाद उच्चाधिकारियों व कानूनविदों से राय लेकर उनके खिलाफ आगामी कार्रवाई की जाएगी। कालाबाजारी करने वाले आरोपियों पर गैंगस्टर व अन्य निरोधात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
- निपुण अग्रवाल, एसपी सिटी


सात साल से कम सजा वाले सिद्धदोष बंदियों को 60 दिन की पैरोल और विचाराधीन बंदियों को 60 दिन की अंतरिम जमानत पर छोड़ने के निर्देश शासन से मिले हुए हैं। सात साल से कम सजा के अपराध में बंद आरोपियों की सूची न्यायालय को भेजी जाती है। वहां की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बंदियों को रिहा किया जाता है। अब तक ऐसे करीब एक हजार बंदियों को पैरोल व अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा चुका है।
- आलोक सिंह, जेल अधीक्षक
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