रिपोर्ट :- विकास शर्मा


हरिद्वार :- हरिद्वार में अपने मृत परिजनों का अस्थि विसर्जन हेतु उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की मुक्ति योजना का हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों तथा  श्री गंगा सभा ने विरोध किया है। हरिद्वार जिले में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की मुक्ति योजना के तहत देश विदेश में किसी भी कोने से अपने घरों में बैठकर सनातन परंपरा के मुताबिक हर की पौड़ी के घाटों पर अपने मृत परिजनों का अस्थि विसर्जन करा सकेंगे। इसके लिए विदेश में रह रहे प्रवासियों को $100 का संस्कार शुल्क देना होगा। गंगा तट पर स्थित विसर्जन का लाइव प्रसारण अपने घर में बैठकर देखा जा सकेगा।    

मुक्ति योजना का हरिद्वार पंडा समाज वह हर की पौड़ी प्रबंध कार्यकारिणी संस्था श्री गंगा सभा ने विरोध किया है गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि हजारों वर्षों से तीर्थ पुरोहितों और यजमानों का संबंध चला आ रहा है। यजमान अपने स्वजनों के अस्थि प्रवाह हेतु तीर्थ पुरोहितों से सीधा संपर्क करते हैं और सनातन धर्म के अनुरूप परिजन अपने मृतकों का अस्थि विसर्जन कराते हैं।    यह कार्य श्रद्धा व आस्था और प्राचीन परंपराओं से जुड़ा हुआ है। इसमें किसी भी माध्यम या संस्था के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।        

संस्कृत अकादमी अपने मूल उद्देश्यों से भटक कर अस्थि प्रवाह जैसे धार्मिक कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रही है और इसे व्यवसायिक स्वरूप प्रदान करने की कोशिश कर रही है। हम इस योजना का विरोध करते हैं। यह तीर्थ पुरोहितों का परंपरागत अधिकार है। इसमें किसी भी संस्था का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं होगा।
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