रिपोर्ट :- अजय रावत


गाज़ियाबाद :- श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर कविनगर में दशलक्षण पर्व के बाद क्षमा वाणी कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर आचार्य वसुनंदी जी महाराज के परम शिष्य 105 एलक विज्ञान सागर जी महाराज एवं व गुरदेव शांति स्वरूप जी महाराज के शांतिदूत श्री विचक्षण मुनी श्री महाराज सा,श्री उदित राज मुनि जी महाराज सा,श्री जार्गत मुनी श्री महाराज सा मंच पर विराजमान थे। जैन समाज के सभी संप्रदाय के लोगों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया तथा अपने अपने विचार रखे।

इस अवसर पर जम्बू जैन अध्यक्ष, प्रदीप जैन मंत्री,अजय जैन प्रवक्ता जैन समाज,प्रदीप जैन नेहरु नगर,अशोक जैन धर्मेन्द्र जैन उपाध्यक्ष,प्रमोद कुमार जैन सुनील जैन आर सी जैन डीके जैन रमेश चंद जैन जीवेन्दर जैन आरसी जैन अभिनव जैन पार्षद इंदिरापुरम नंदन प्रसाद जैन अध्यक्ष शास्त्रीनगर,देवेंद्र जैन,जेडी जैन अध्यक्ष स्थानक,एन सी जैन संरक्षक जैन मंदिर,नितिन जैन,अध्यक्ष आदित्य वर्ल्ड सिटी संजय जैन मंत्री मंडोला आश्रम,SDM राजेश जैन शामली,अनसुल जैन सी ओ कवि नगर,हिमांशु मित्तल पार्षद कविनगर आदि तमाम लोगों ने क्षमा वाणी पर पर्व अपने विचार रखे।

मंच का संचालन करते हुए प्रवक्ता अजय जैन ने कहा कि जैन समाज में क्षमा वाणी पर्व का बहुत महत्व है क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि अगर व्यक्ति 6 महीने के अंदर अपने द्वेश भावना का निराकरण नहीं करता है तो ये द्वेष भावना जन्म जन्मांतर तक चलती है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को छह महीने के अंदर आपस में द्वेष भावना को दूर करकेक्षमा माँग लेनी चाहिए। क्षमा द्वारा बड़े से बड़ा कार्य आसनी से सम्भव हो जाता हैं। क्षमा करना और क्षमा  देना दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत जम्मू प्रसाद जैन अध्यक्ष,अजय जैन प्रवक्ता जैन समाज,प्रदीप जैन मंत्री प्रदीप जैन कोषाध्यक्ष अशोक जैन उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र जैन उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार जैन सह मंत्री सुनील जैन ऑडिटर आदि ने तिलक लगाकर,पटका पहनाकर,शॉल उडा़करअतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर SDM शामली राजेश जैन ने कहा कि सरकारी विभाग में जो भी व्यक्ति है उन्हें फोन कॉल ज़रूर उठाना चाहिए अगर किसी समय आप फ़ोन नहीं उठा पाते हैं तो बाद में बैक कॉल ज़रूर करनी चाहिए नहीं तो आप अपने आप को क्षमा नहीं कर पाएंगे। कभी कभी ये कॉल आपके करीबी या बहुत ज़रूरतमंद व्यक्ति की हो सकती है। व्यक्ति को अपने कार्य के प्रति सम्पूर्ण समर्पित रहना चाहिए अगर व्यक्ति अपने कार्य के प्रति पूर्ण समर्पित है तो यही उसका सबसे बड़ा धर्म है और कभी किसी को नाजायज़ नहीं सताना चाहिए।

सीओ कविनगर अंशुल जैन ने कहा कि जैन धर्म में पर्यूषण पर्व का बहुत महत्व है। पर्यूषण पर्व के बाद क्षमा वाणी पर्व आता है इस दिन सभी व्यक्ति अपने पुराने पापों का प्रायश्चित करके जिस किसी के भी प्रति उसने किसी प्रकार की गलती होती है तो वो क्षमा माँग करके अपने कर्मोंका क्षय   कर लेता है यह बहुत अच्छी प्रथा है लोगों को क्षमा करने से और क्षमा देने से बड़े बड़े कार्य आसानी से हो जाते हैं। मैं भी इस अवसर पर सभी से क्षमा भाव रखते हुए क्षमा माँगती हूँ।

क्षमावाणी पर पर बोलते हुए एलक बिज्ञान सागरजी महाराज ने कहा क्षमा माँगने से आप हज़ारों आदमी का एक साथ दिल जीत सकते हैं लेकिन आप 2 हाथों से 25 लोगों को भी नहीं मार सकते हैं और दोनों हाथ जोड़ने से आप हज़ारों लोगों का दिल एक साथ जीत सकते हैं उन्होंने कहा कि मनुष्य अहंकार की दीवाल गिरा देनी चाहिए तभी आपस में सामंजस्य और देश उन्नति की ओर बढ़ेगा। जैन समाज हमेशा जोड़ने का काम करता है तोड़ने का नहीं जैन समाज अहिंसा,जियो और जीने दो,अनेकांतवाद पर विश्वास रखता है।उन्होने कहा कि बिना संतों के समाज में समानता नहीं आ सकती और जितना व्यक्ति गुणवान होगा उतना सरल होगा।जब तक धर्म है तब तक प्यार है।धर्म नहीं तो मनुष्य का परिवार और देश भी विनाश की ओर बढ़ जाता है।

इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को वो चाहे किसी भी धर्म का हो।उसे जीवन में धर्म अपनाना चाहिए धर्म हमेशा अच्छी बात सिखाता है।
उदित राज मुनि जी महाराज सा ने कहा कि क्षमा भाव  से बड़ा कोई धर्म नहीं है इसे हर व्यक्ति को स्वीकार कर लेना चाहिए इसके द्वारा बड़े से बड़े काम आसानी से निपट जाते हैं क्रोध हमेशा नाश करता है वह स्वयं को जलाता है आपने देखा होगा कि जैसे माचिस की तिल्ली स्वयं को जलाती है तब दूसरों को प्रभावित करती है इसी प्रकार मनुष्य भी क्रोध में पहले स्वयं को जलाता है फिर दूसरों को नुक़सान पहुँचाता है वो भी ज़रूरी नहीं लेकिन अपने को ज़रूर पहुँचाता है।

गुरुदेव श्री विचक्षण मुनि श्री महाराज शा ने कहा है कि अगर महावीर स्वामी को याद करके भी अगर हमारे अंदर क्षमा,दया,अहिंसा आदि का भाव नहीं आता है तो समझ लो हमारे अंदर कुछ ना कुछ कमी है महावीर स्वामी ने अनेकांतवाद,जियो और जीने दो,अहिंसा परमो धर्म का ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि णमोकार महामंत्र को जपने से ही मनुष्य के सभी पापों का क्षय हो जाता है तथा मनुष्य के जीवन का कल्याण हो जाता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को णमोकार महामंत्र को अपने हृदय में उतार लेना चाहिए
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