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नई दिल्ली :- आज के तकनिकी युग में हर क्षेत्र में क्रांति आयी. जिसमे पत्रकारिता भी पीछे नहीं रही. पत्रकारों को अपने विचारों व अभिव्यक्ति को व्यक्त करने के लिए एक नया क्रन्तिकारी मंच मिला जिसे आज हम “न्यूज पोर्टल” के नाम से जानते है. दुनिया भर में न्यूज पोर्टल की शुरुआत बड़ी तेजी से हुई. न्यूज पोर्टल्स की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए कई पुराने अख़बार व टीवी चैनलों ने भी अपना-अपना वेब पोर्टल शुरू किया. लेकिन जहाँ एक ओर न्यूज पोर्टल से पत्रकारिता में एक नयी क्रांति आ रही है वहीँ दूसरी ओर कई बार ये खबर फैलती रहती है कि न्यूज पोर्टल फ़र्ज़ी है और न्यूज पोर्टल पर काम करने वाले संवाददाताओं /कार्य कर्ताओं को सरकार पत्रकार नहीं मानती, इस तरह कि भ्रामक और झूठी खबरे आये दिन सोशल मीडिया में देखने को मिल जाती है। इतना ही नहीं कई सरकारी अधिकारी भी इन ख़बरों पर सही कि मुहर लगा बैठते है। ये जो लोग या अधिकारी गण ये मानते और कहते हैं कि न्यूज पोर्टल फ़र्ज़ी है और इनमे कार्यरत संवाददाताओं को सरकार पत्रकार नहीं मानती है, दर असल इन लोगों/ अधिकारियों को न ही पत्रकारिता के विषय में कोई ज्ञान है और न ही पत्रकारिता के संघर्ष की जानकारी। ये पहली बार नहीं है जब किसी ऐसे मंच को मौन रखने कि साजिश रची जा रही है जिसका सम्बन्ध पत्रकारिता से हो।

क्यों उड़ती है न्यूज पोर्टल्स के सम्बन्ध में अफवाहें:
सरकारी व् कॉपोरेट दबाव न होने कि वजह से न्यूज पोर्टल के संवादाता व संपादक स्वतंत्र होकर सरकारी व् निजी कंपनियों कि खामियों को लिखते व् दिखाते है. जिस वजह से न्यूज पोर्टल्स इन लोगों को नहीं भाता इसलिए समय समय पर न्यूज पोर्टल के सम्बन्ध में फ़र्ज़ी अफवाहें उड़ाई जाती है।
सरकार ने कभी नहीं कहा कि न्यूज पोर्टल का संवाददाता पत्रकार नहीं है
वैसे तो कई बार देखने को मिलता है बहुत से अधिकारी गण भी ये फरमान जारी कर देतें है कि न्यूज पोर्टल को सरकार फ़र्ज़ी मानती है. कई जनपदों में सूचना अधिकारी भी यही राग अलापते मिल जायेंगे. लेकिन यदि इनसे मांग कि जाय कि “क्या इनके पास सरकार/ मिनिस्ट्री ऑफ़ इनफार्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग, प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया या प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो द्वारा जारी किया गया ऐसा कोई भी आदेश है जिसमे ये कहा गया हो कि सरकार न्यूज पोर्टल के संवाददाता को पत्रकार नहीं मानती.” तो ये न तो आपको कोई लिखित आदेश दिखा पाएंगे और न ही कोई जिओ।

न्यूज पोर्टल्स पूर्णत: वैध
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में दिए गए स्वतंत्रता के मूल अंधिकार को प्रेस की स्वतंत्रता के समकक्ष माना गया है. भारतीय नागरिक को न्यूज पोर्टल शुरू और संचालित करने कि स्वतंत्रता है। सरकार जल्दी ही लागू करने वाली है न्यूज पोर्टल हेतु नियमावली। न्यूज पोर्टल के पत्रकार भी असली पत्रकार हैं। न्यूज पोर्टल कि बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए 4 अप्रैल 2018 को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि देश में चलने वाले टीवी चैनल और अखबारों के लिए नियम कानून बने हुए हैं और यदि वह इन कानूनों का उल्लंघन करते हैं तो उससे निपटने के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) जैसी संस्थाएं भी हैं,
लेकिन ऑनलाइन मीडिया के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. इसे ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन मीडिया के लिए नियामक ढांचा बनाने के लिए एक समिति का गठन किया जायेगा. 10 लोगों की इस कमेटी के संयोजक सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव होंगे. इस कमेटी में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और एनबीए के सदस्य भी शामिल होंगे. गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के सचिव भी इस कमेटी का हिस्सा होंगे। अब जब 10 लोगों कि एक टीम निर्धारित कि गयी जो न्यूज पोर्टल को रेगुलेट करने सम्बन्धी नियम बना रहे तो इस नियम के बनने के पहले ही यदि कोई यह फरमान जारी करे कि न्यूज पोर्टल फर्जी है तो या तो वह अलप ज्ञानी है या तो सरकार से ऊपर.

सरकार ने न्यूज पोर्टल्स को कभी भी फ़र्ज़ी नहीं माना
यही कारण है कि 10 सद्द्स्यीय समिति न्यूज पोर्टल हेतु नियमावली बना रही है। न्यूज पोर्टल के विषय में किसी भी प्रकार कि अफवाह में न पड़ें. न्यूज पोर्टल पूर्णत: वैध है, और इसमें कार्यरत संवाददाता पत्रकार हैं
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