रिपोर्ट :- अजय रावत


गाज़ियाबाद :- गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने बताया कि लगभग 100 साल बाद आई इस कोरोना वैश्विक महामारी के कारण देश एवम प्रदेश के अभिभावको को गंभीर आर्थिक संकट से जूझना पड़ा जिसके लिए देश भर के अभिभवको ने लगभग 20 महीने बंद रहे निजी स्कूलों की फीस ऑन लाइन शिक्षा के अनुसार निर्धारित करने की मांग सरकार से की साथ ही सरकार तक अपनी आवाज पहुचाने के लिये अभिभावको ने आंदोलन , भूखहड़ताल , थाली बजाओ सरकार जगाओ , केंडल मार्च , ज्ञापन , ट्विटर जैसे अनेको माध्य्म का प्रयोग किया लेकिन केंद्र सरकार सहित देश मे किसी भी राज्य सरकार ने शिक्षा के व्यपारिकर्ण पर रोक और ऑन लाइन शिक्षा की फीस निर्धारित करने की हिम्मत नही दिखाई।

जिसके कारण अनेको छात्र / छत्राओ को ऑन लाइन शिक्षा से वंचित होना पड़ा साथ ही अनेको छात्र / छत्राओ को शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा सरकार जहाँ अभिभावको की पीड़ा को दरकिनार करती रही वही निजी स्कूल संचालको की संरक्षक बनकर लाभ पहुचाती रही ये वही सरकारें है जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देती है मुख्यमंत्री ने अभी हाल ही में कुछ दिन पहले चुनावी घोषणा की दो बेटियों में से एक बेटी की फीस माफ होगी और शायद मुख्यमंत्री भूल गये की उनकी सरकार आर .टी .ई के तहत चयनित बच्चों का एड्मिसन निजी स्कूलों में कराने में असफल रहती है तो क्या ये निजी स्कूल एक बच्ची की फीस माफ करेगेल

इसका जबाब किसी के पास नही शिक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर सरकार का उदासीन बने रहना दिखाता है कि पिछले 70 साल में निजी स्कूल संचालको की पकड़ सत्ता में मजबूत हुई है देश मे  अधिकतर निजी स्कूल को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी ना किसी राजनैतिक पार्टी अथवा व्यक्ति का सरक्षंण प्राप्त है इसलिये कोई भी राजनैतिक पार्टी इस अहम मुद्दे पर कुछ नही करती जिसका खामियाजा देश के अभिभावको को भारी फीस देकर बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने के लिये मजबूर होकर चुकाना पड़ रहा है अगर इस शिक्षा माफियाओ के विशाल नेक्सस को तोड़ना है तो सभी अभिभावको को एक साथ आकर मजबूती से लड़ाई लड़नी होगी वरना वो दिन दूर नही जब शिक्षा एक विशेष वर्ग तक ही सीमित होकर रह जायेगी।
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