रिपोर्ट :- अजय रावत

गाज़ियाबाद :- रडार सहित कई रक्षा उपकरण बनाने वाली गाजियाबाद (UP) की सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) को बेचने की योजना केंद्र सरकार ने फिलहाल टाल दी है। केंद्र सरकार ने इस पर भी जांच शुरू कर दी है। CEL के कर्मचारी निजीकरन के फैसले का पुरजोर विरोध कर रहे थे लेकिन केंद्र सरकार ने इस विरोध को अनसुना कर दिया था। इस विषय मे CEL कर्मचारी संघ का एक प्रतिनिधिमंडल 03.12.2021 को प्रदेश काँग्रेस प्रवक्ता एवं ग़ाज़ियाबाद से 2019 लोकसभा काँग्रेस उम्मीदवार रही युवा नेत्री डॉली शर्मा से मिला और अपनी समस्या के समाधान के लिए सहयोग की अपील की। इस बैठक के तुरंत ही बाद डॉली शर्मा ने यह गंभीर विषय काँग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी एवं पूर्व काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष रखा और CEL के निजीकरण की प्रक्रिया मे होने जा रहे घोटाले और CEL कर्मियो के रोजगार पर आती आँच के विषय मे विस्तार से जानकारी दी। इसी के परिणाम स्वरुप 29 दिसंबर 2021 को कांग्रेस पार्टी की ओर से दिल्ली मुख्यालय से राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरभ वल्लभ ने प्रेसवार्ता कर CEL के निजीकरण के विषय मे केंद्र सरकार पर तीखे सवाल दागे और जवाब मांगा। 

डॉली शर्मा द्वारा CEL के निजीकरण का मुद्दा उठाने और प्रियंका गांधी और राहुल गांधी द्वारा तुरंत संज्ञान लेकर CEL का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाने की वजह से केंद्र सरकार बैकफुट पर आ गई और उसे CEL के निजीकरण का फैसला टालने पर मजबूर होना पड़ा। 
CEL कर्मचारी संघ के संजय कुमार और उनके तमाम साथियो ने ग़ाज़ियाबाद मे प्रत्यक्ष मुलाकात कर डॉली शर्मा को और काँग्रेस पार्टी को हजारो CEL कर्मियो के रोजगार बचाने और CEL को निजी हाथो मे जाने से बचाने के लिए बहोत धन्यवाद दिये। 

बता दें कि 29 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार के उपक्रम वाली सीईएल कंपनी 210 करोड़ रुपए में नंदल फाइनेंस को बेच दी गई थी, जबकि इसका मूल्यांकन करीब 2800 करोड़ रुपए आंका गया था। इसे लेकर पीएमओ समेत कई जगह कर्मचारियों ने चिट्ठी भेजी थी। एम्प्लाइज यूनियन अध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि बिक्री की डील कैंसिल हो गई है। यह कर्मचारियों की बड़ी जीत है। 

गाजियाबाद के साहिबाबाद में सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड साल-1974 में केंद्र सरकार के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्थापित की थी। कहा जाता है कि देश में सबसे पहला सोलर पैनल बनाने वाली यही कंपनी थी। वर्तमान में इस कंपनी में फेज कंट्रोल मॉड्यूल डिवाइस बनती है जो रडार के एंटीना में लगती है। मिसाल में सबसे आगे लगने वाला रोडोम भी यहीं तैयार होता है। इसके अलावा तमाम रक्षा उपकरण बनते हैं। रेलवे के सेफ्टी इक्यूपमेंट मार्केट पर करीब 65 फीसदी कब्जा CEL का है। इस कंपनी में 1100 कर्मचारी कार्यरत हैं, इनमें करीब 300 कर्मचारी स्थायी है। 

सीईएल एम्प्लाइज यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार के अनुसार, कंपनी की 50 एकड़ जमीन का वर्तमान सर्किल रेट 440 करोड़ रुपए है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 296 करोड़ रुपए टर्नओवर के साथ सारी देनदारियों को चुकाने के बावजूद इस कंपनी ने 24 करोड़ का लाभ पाया। 1500 करोड़ रुपए के ऑर्डर फिलहाल इस कंपनी को मिले हुए हैं। 34 करोड़ रुपए बिल्डिंग कॉस्ट, 67 करोड़ रुपए वीआरएस, 25 करोड़ रुपए का सैलरी और एरियर समेत इस कंपनी की अनुमानित कीमत करीब 2800 रुपए बैठती है। सरकार ने जिस कंपनी को बिड दी है, उसका कुल सालाना टर्नओवर ही 12 करोड़ रुपए का है। निजीकरण के खिलाफ एम्प्लाइज यूनियन के बैनर तले कर्मचारी पिछले कई दिन से आंदोलनरत थे लेकिन सरकार हमारी बात नही सुन रही थी। लेकिन काँग्रेस पार्टी हमारे साथ खड़ी रही और उसी दबाव का नतीजा है की आज यह निजीकरण प्रक्रिया रद्द कर दी गई है जो हमारे आंदोलन की जीत है।
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