◼️मंडला आयुक्त रहे प्रभात कुमार की जांच आई प्रश्नचिन्ह के घेरे में


सिटी न्यूज़ | हिंदी.....✍🏻

गाजियाबाद :- वैसे तो यह जिला किसी ना किसी बात को लेकर हमेशा चर्चाओ में रहता है परंतु इस बार प्रदेश के मुख्यमंत्री इस भूमि अधिग्रहण में हुई बंदरबांट को लेकर बेशक चिंता कर रहे हो मगर इस भूमि अधिग्रहण की बंदरबांट में शामिल सपा शासनकाल में डीएम और इसके बाद प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और प्राधिकरण के चेयरमैन रहे एक यादव अधिकारी भी शामिल हैं जो आजकल भारत सरकार में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं जिसके चलते जहां अधिग्रहण की भूमि के मुआवजे में बंदरबांट तो की गई।

और जिलाधिकारी रहते हुए उन्होंने जिन जमीनों को अपने रिश्तेदारों और अपने खास लोगों के नाम पर खरीदा था उन जमीनों पर उन्होंने करोड़ों रुपए का मुआवजा उठाकर अपने रिश्तेदारों और अपने आप को लाभ पहुंचाने का काम किया ‌ गया था और प्राधिकरण में उपाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे को मूर्त रूप देते हुए प्राधिकरण को लगभग 1500 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का काम किया।

इसके अलावा भी एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से इन्होंने 800 करोड़ का कर्ज लेकर प्राधिकरण को कर्जे में डुबो दिया साथ ही जिन fd से प्राधिकरण के कर्मचारियों की तनख्वाह बटती थी वह तोड़वा डाली जिसका नतीजा यह है सन 2019 से लेकर आज तक प्राधिकरण आर्थिक कंगाली के दौर से गुजर रहा है और जहां पर तैनात अधिकारियों को अपने कर्मचारियों व अधिकारियों को तनख्वाह देने के लिए भी हर महीने कुछ ना कुछ जुगाड़ करना पड़ता है देखना है कि वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर तैनात यह आईएएस  अधिकारी राजनगर के पाश एरिया में रह रहा है और उनकी पोस्टिंग केंद्र सरकार में है क्या मुख्यमंत्री कार्यालय इस मामले में उचित जांच करा कर बाकी बचे अधिकारियों को भी भाजपा की इमानदार योगी सरकार दंड देगी या नहीं यह तो अभी भविष्य के गर्भ में छुपा है।
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