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गाजियाबाद :- विश्व ब्राह्मण संघ के प्रवक्ता ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने भारतीय जनता पार्टी के महानगर कोषाध्यक्ष व वरिष्ठ समाजसेवी समर कूल के डायरेक्टर संजीव कुमार गुप्ता से शिष्टाचार मुलाकात की इस अवसर पर अनेकों धार्मिक सामाजिक दृष्टि को ध्यान में रखते हुए विचार विमर्श किया  बी के शर्मा हनुमान ने बताया कि शिष्ट’ + ‘आचार’ यह दो शब्दों के समन्वय से शिष्टाचार शब्द बनता है। ‘शिष्ट’ अर्थ हैं सभ्य और ‘आचार’  का अर्थ होता है अच्छा आचरण। किसी भी व्यक्ति के प्रति अच्छा आचरण करना शिष्टाचार कहलाता है। शिष्टाचार की परिभाषा सम्मान की परिभाषा से कहीं अधिक है।

व्यक्ति को दैनिक जीवन में अनुशासन का पालन करना, बड़ो का आदर और छोटों को प्यार देना तथा अतिथि का सम्मान करना यह सब शिष्टाचार की प्रमुख विशेषता होती है। इसआंतरिक गुण का हरेक व्यक्ति के जीवन निर्माण में बड़ा योगदान होता है। शिष्टाचार लोगों के साथ घुलने मिलने की कला और लोगों को खुश करने की कला भी है दैनिक जीवन में शिष्टाचार का काफी महत्व रहता है। यह वही गुण है, जो हमें पशु से अलग बनाता है। शिष्टाचार के बिना हमारे जीवन का कोई मोल नही रहता। व्यावसायिक जीवन में सफलता पाने के लिए शिष्टाचार बेहद जरुरी है। अच्छा शिष्टाचार हमें नए लोगों के साथ जोड़ता है और हमारे जीवन में नए नए मौके लाता है। वह  मनुष्य एक सभ्य व्यक्ति बन जाता हैं।

यह गुण मनुष्य को समाज में एक सभ्य इंसान बनाता है। विनम्रता और दया शिष्टाचार के प्रमुख लक्षण कहलाते है। यह हमें ईमानदार बनाता है और लोगों का हमारे प्रति भरोसा बढ़ता है।शिष्टाचार रिश्ते को जीवंत रखता है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व को भी बहुत पारदर्शी बनाता है। शिष्टाचार जीवन के पहियों को चिकना कर देता है क्योंकि यह प्रेम, करुणा और सम्मान फैलाता है।

शिष्टाचार और सफलता किसी भी व्यक्ति की सफलता के पीछे शिष्टाचार का हाथ जरूर होता है। शिष्टाचार जीवन को सुकून और शांति से रहना सिखाता है। से घ्रणा और द्वेष को नाबूद करने में शिष्टाचार जरुरी है। सफलता के लिए हमें सदा अपने व्यक्तित्व को निखारने का प्रयास करना चाहिए। अच्छे व्यक्तित्व से लोग हमारी तरफ आसानी से आकर्षित होते है। शिष्टाचार व्यक्ति के जीवन में परिष्कार, रिश्तों में प्यार और शब्दों में कोमलता लाता है। 

मतभेदों को दूर करके संबंधों में निकटता लाने के लिए इस गुण से काफी मदद मिलती है। इस अवसर पर संजीव गुप्ता जी द्वारा मुझे अंग वस्त्र व श्री राम दरबार का स्मृति चिन्ह देकर मेरा सम्मान बढ़ाया मैं दिल की गहराइयों से संजीव गुप्ता जी परिवार का वंदन करता हूं अभिनंदन करता हूं और आभार प्रकट करता हूं  जिन्होंने मुझे अपने निकटतम बैठाकर मुझे सम्मान दिया
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