रिपोर्ट :- विकास शर्मा
उत्तराखण्ड/हरिद्वार :- शारदा-द्वारिका व ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी दोनों पीठों पर उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी गई है।ज्योतिर्मठ और द्वारका-शारदा पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारियों के तौर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सदानंद सरस्वती की घोषणा का संत समाज ने विरोध किया है।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और अखिल भारतीय संत समिति ने घोषणा के तौर-तरीकों को संत परंपरा के विरुद्ध और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया। समिति ने इसे अवैध करार देते हुए मान्यता देने से इन्कार कर दिया है।
द्वारिका ज्योतिष पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने पर उनको भू समाधि दिए जाने से पूर्व उनके उत्तराधिकारी के तौर पर शारदा-द्वारिका पीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती व ज्योतिष पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की घोषणा की गई। घोषणा होने के बाद से उत्तराधिकारी को लेकर विवाद भी उत्पन्न हो गया है। जहां एक ओर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज की वसीयत को सार्वजनिक करने की मांग की जाने लगी है वहीं कुछ का मानना है कि स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने कोई वसीयत की ही नहीं। गोवर्धन पीठ ने भी उत्तराधिकारीयों की नियुक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहां कि यदि शंकराचार्य स्वरूपानंद जी वसीयत करते तो उसकी सार्वजनिक घोषणा अवश्य करते। इस प्रकार की नियुक्ति को पीठ मान्यता नहीं देती।